एक बार तो आजाओ तुम परदे से निकल के।
दिल दे रहा आवाज मेरा तुमको मचल के।।
ये लोग तुम्हें आम समझते रहे इंसान।
तुम कौन हो और क्या हो इन्हें हैं नही पहिचान।।
क्या काम तुम्हारा इन्हे खाबो में नही ज्ञान।
बुद्धि लगाके अपनी हुये जा रहे हैरान।।
खुद की नही पहिचान तुम्हे कैसे पाये जान।।
सब अपने अपने कोरे ज्ञान का करे गुमान।
सब चल रहे हैं राह अपनी बदल बदल के।।
एक बार तो आजाओ तुम परदे से निकल के।
ये कहते हैं के वक्त तुम्हारा हुआ खतम।
इनको नही मालूम क्या ऐ कर रहे सितम।।
इनके दिलो में भर दिया है किसने ये वहम।
इनकी नजर में ना समझ नादान बने हम।।
सर पे हैं उनके भार गुनाहों के ना हो कम।
महरूम हो गए हैं ये सब तेरी फ़जल से।।
एक बार तो आजाओ तुम परदे से निकल के।
इनको नही मालूम अगर तुम जो चल दिये।
फिर कौन करे पूरे तुमने वादे जो किये।।
शंकाओ ने इनके दिमागों में हैं घर किये।
हर वक्त जलाते है कोरे ज्ञान के दिये।।
ना जाने क्या साबित करना चाहते हैं ये।।
कितना ही पड़ गया हैं फर्क आज और कल में
एक बार तो आजाओ तुम परदे से निकल के।
तुम आये हो रूहों की यहा बक्शी के लिऐ।
नादांन ये जो कह रहे के तुम ही चल दिये।।
कहता हैं कोई कह गये वो मेरे ही लीये।
कहता हैं कोई सब कुछ वो मुझको दे गये।।
बदला किसी दिन और ईमां बदल लिये।
बदला किसी ने रंग कोई बाने बदल लिए
जो चल रहे थे कल तलक पीछे पीछे तेरे।
वो आज किसी और के शागिर्द हो लिये।।
हर कोई यहाँ देखे चाल अपनी ही चल के।
एक बार तो आजाओ तुम परदे से निकल के।
ये भूल गये आज तुम्हारे कलाम को।
ये भूल गये तुम ही शाहों के शाह हो।।
तुम ही तो आये सातंवे फ़लक से उतर के।
है कौन तुम्हे वक्त की हदों में बांधे जो।।
क्या है तुम्हे सांसो की और जिस्मो की ककलीफे।
ना काल का तकादा ना औरों का ही तुम्हे।।
जिसने बनाया काल को वो खुद तुम्ही तो हो।
जो रूहे ख़तावार उन्हें कानून यहां का।
फिर तुम ही खुदमुख़्तार हो क्या कायदा तुमको।।
तुम जो चाहो कर दो तुम्हे कैसे मुचलके।
एक बार तो आजाओ तुम परदे से निकल के।
तुम तक के कयामत भी पहुँच ना सकी कभी।
ये मौत हैं अदनी सी तेरा कर ही क्या लेंगी।।
तू हैं कज़ा से परे तेरा जिस्म मुक़द्दस।
तुम हो हदों से पार तुमपे ना किसी का वश।।
जिसने किया है सारी कायनात को विवश।
वो खुद ही तेरे सामने होता खड़ा बेबस।।
क्या जिंदगी और मौत क्या तेरे लिए बनी।
तुमसे बने हैं सब ना कोई तुमसा हैं धनी।
एक रोज सारा विश्व यहाँ आयेगा चल के।
एक बार तो आजाओ तुम परदे से निकल के।
दिल दे रहा आवाज मेरा तुमको मचल के।।
???? जयगुरूदेव ????
रचनाकार:- प्रेम देशमुख
जयगुरुदेव आवाज़ टीम