परम पूज्य संत बाबा जय गुरु देव जी महाराज

!! जय गुरुदेव नाम प्रभु का !! बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है, कलियुग जा रहा है, सतयुग आ रहा है

आरती करहुँ सन्त सतगुरु की,
सतगुरु सतनाम दिनकर की।

काम क्रोध मद लोभ नशावन,
मोह ग्रसित कह सुर सरी पावन।
कटहिं पाप कलि मल की,
आरती करहुँ सन्त सतगुरु की।।

तुम पारस संगति पारस तव,
कलिमल ग्रसित लौह प्राणी भव ।
कंचन करहिं सुधर की,
आरती करहुं सन्त सतगुरु की।।

भूलेहुं जे उन संगति आवे,
कर्म धर्म तेहि बांधि न पावे,
भय न रहे यम डर की,
आरती करहुं सन्त सतगुरु की।।

योग अग्नि प्रगटहि तिन के घट,
गगन चढें सुर्त खुले बज्रपट।
दर्शन हो हरि हर की,
आरती करहुं सन्त सतगुरु की।।

सहंस कंवल चढ़ि त्रिकटी आवे,
सुन्नशिखर चढ़ि बीन बजावे।
खुले द्वार सतघर की,
आरती करहुं सन्त सतगुरु की।।

अलख अगम का दर्शन पावे,
पुरुष अनामी जाय समावे।
जयगुरुदेव अमर की,
आरती करहुं सन्त सतगुरु की।।
जयगुरुदेव गुरुवर की,
आरती करहुं सन्त सतगुरु की।।