मेरे खुले हृदय के द्वार
मेरा मन मंदिर तैयार
मेरी पूजा करो स्वीकार
गुरुजी मेरे आ जाओ एक बार
कूड़ा कचरा बिन बिन कर के
दूर रख दिया जा कर के
चमकाई हर दीवार
हर कोना दिया बुहार
मेरी अर्जी हैं मनुहार
गुरुजी मेरे आ जाओ एक बार
आओ बिराजो सिंगासन पे
जड़ित रत्नों के स्वर्णासन पे
तव चरण मैं लऊ पखार
तुम्हे अर्पण सेवा सत्कार
लीजिये स्वागत करो स्वीकार
गुरुजी मेरे आ जाओ एक बार
हृदय पुष्प के हार पिरो कर
इतरो की खुशबू में धोकर
मैं पहनाऊँ गलहार
हे मनुज रूप करतार
अभिनंदन हैं बारम्बार
गुरु मेरे आ जाओ एक बार
धवल चंद्र से वस्त्र पहनाऊँ
चंदन केशर चरण पखारु
मेरे मन मे परम् हुलार
हर स्वप्न करू साकार
मेरा तन मन हैं बलिहार
गुरुजी मेरे आ जाओ एक बार
कनक थाल में भोग लगाऊँ
रजत पात्र में क्षीर पिलाऊँ
लो ग्रहण करो सरकार
में स्वामी परमानंद उदार
दयानिधि दीनबंधु दातार
गुरुजी मेरे आ जाओ एक बार
लौट ना जाना अब आ करके
मेरे ही मन मंदिर में रह के
हुकुम करो सरकार
तुम्हारी हर आज्ञा सिरधार
अमल करु प्रभुजी हर एक बार
गुरुजी मेरे आ जाओ एक बार
???? जयगुरूदेव ????
रचनाकार:- प्रेम देशमुख
जयगुरुदेव आवाज़ टीम