परम पूज्य संत बाबा जय गुरु देव जी महाराज

!! जय गुरुदेव नाम प्रभु का !! बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है, कलियुग जा रहा है, सतयुग आ रहा है

मेरे दाता कहाँ ढूंढू तुम्हे
कहाँ खो गये हो तुम,
हुई कैसी ख़ता हमसे कहो
कहॉ हो गये हो गुम,

राह देखे तुम्हारी ये नैना
हर पल पल में दिन और रैना ।
आओ आओ प्रभु जी आ जाओ
दिल तरसते को मिल जाये चैना ।
ऐसे भी क्या रूठे हो हमसे क्षमा प्रभु हमको करदो तुम।
मेरे दाता कहाँ ढूंढू तुम्हे

छा गया हैं अंधेरा हमारे,
जीवन मे गुरु बिन तुम्हारे।
राह दिखलाई देती नही हैं,
क्या करे ना करे दिल पुकारे।
तोड़ दो सीमा मर्यादाओं की लौट कर आ भी जाओ तुम।
मेरे दाता कहाँ ढूंढू तुम्हे

खण्ड ब्रह्मांड के तुम हो स्वामी,
तुम से बढ़ कर नही हैं अनामी ।
अपने ही नाम की लाज रख लो,
वर्णा दुनियां में होगी बदनामी ।
कुछ भी मुश्किल तुम्हारे लिये हैं नही फिर क्यो रुके हो तुम ,
मेरे दाता कहाँ ढूंढू तुम्हे

कुछ तो कह जाते वो जाने वाले,
कर गये हमको किसके हवाले।
कैसे किस पे भरोषा करे हम,
अपनी ही सब चलाने हैं वाले ।
घर मे ही मच गई खींचातानी क्यों न इनको समझाते तुम,
मेरे दाता कहाँ ढूंढू तुम्हे

जब सत्संग का दरियाँ बहाँ था,
मंच पे आके तुमने कहॉ था।
चाहे सौ तालों में भी रहूं मैं,
*नाम* पे दौडूं आके मिलूं मैं ।
ये वचन हमको तुमने दिया था उसे गुरु ना भुलाओ तुम,
मेरे दाता कहाँ ढूंढू तुम्हे

लग रहा हो गये बेख़बर तुम,
लो निकलने लगा अब मेरा दम ।
चंद साँसे हैं बाक़ी आजाओ,
नाम लेके तेरा मर रहे हम ।
आख़िरी वक्त का ही सही वो मगर वादा निभादों तुम,
मेरे दाता कहाँ ढूंढू तुम्हे

दिल रो रो के तुमको पुकारें
पर जुबां पर लगे अब तो ताले।
कैसे किसको कोई बात कह दे,
शोर करते हैं ये दुनियां वाले।
पूंछते हैं कहाँ हैं वो वादे इन्हें आकर बतादो तुम,
मेरे दाता कहाँ ढूंढू तुम्हे

???? जयगुरूदेव ????
रचनाकार:- प्रेम देशमुख
जयगुरुदेव आवाज़ टीम