(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज)
किस्मत बङी है अपनी जो आप मिल गये हैँ !
आपके शरण मेँ मेरे भाग्य खिल गये हैँ !!
दर-दर को भटक रहे थे मिलता कहाँ सहारा,
मझदार मे थे अटके बङी दूर था किनारा,
सुनसान था इलाका जब कुछ नजर ना आई,
जो तेरे दर पे आये तो रौशनी दिखाई,
तेरी दया से मालिक मेरे आँख खुल गये हैँ !
किस्मत बङी है अपनी जो आप मिल गये हैँ!! दुनियाँ बङी है
शातीर सब काल की है माया,
सब फसते जा रहे हैँ उसने ऐसा खेल रचाया,
आपको याद किया जब मिल गयी मुझको युक्ति,
सारे बँधनो से फिर दिला दिया मुक्ति,
आपकी कृपा से मेरे सब पाप धूल गये हैँ !
किस्मत बङी है अपनी जो आप मिल गये हैँ!!