मैं तो आपमे गुरु का दीवाना।
दुनिया बदले तो बदले ठिकाना।।
मैने उनको ही सब कुछ हैं माना।
चाहे माने ना माने जमाना।।
गुरु चेले का रिश्ता हैं ऐसा।
सती नारी का पिय से हो जैसा।।
एक नजर भी ना डाले किसी पे।
वेद शाश्त्रो ने ऐसा बखाना।।
मान अपमान की क्या पड़ी हैं।
गुरु की रहमत तो सब से बड़ी है।।
गुरु मुझमे समाये हुये हैं।
और गुरु में ही मुझको समाना।।
ये अनामी परमधाम वाले।
मैं तो हूँ अब उन्ही के हवाले।।
इस धरा पे उतर के वो आये।
संग उनके ही निज धाम जाना।।
मैं तो उनके भरोषे रहूँगा।
चाहे जो भी हो सब कुछ सहूँगा।।
मान अपमान बिगड़े या सुधरे।
मेरा क्या है पड़े जो गवाना।।
मैं तो अपने गुरु का दीवाना।
दुनियां बदले तो बदले ठिकाना।।
???? जयगुरूदेव ????
रचनाकार:- प्रेम देशमुख
जयगुरुदेव आवाज़ टीम