परम पूज्य संत बाबा जय गुरु देव जी महाराज

!! जय गुरुदेव नाम प्रभु का !! बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है, कलियुग जा रहा है, सतयुग आ रहा है

हे परम पुरुष हे परमानंद
हे पूरण ब्रह्म परम सत्ता,
है विद्यमान तेरी हस्ती
जाहिर करता पत्ता पत्ता।

चेतन के चेतन महाधनी
तू महासिंध असीमित अनुपम,
हे अरचित तुम स्वयं शक्ति
हे स्वयंभुव स्वमेव स्वयम।

आकार प्रकार से सर्वोपरि
हे रचनाकर रचनावो के,
करते हो कर्म हो के अकर्म
हे निराकार आकारों के।

कोई जान सके नही नाम तेरा
कोई पा न सके गुरु धाम तेरा,
नही जान सके कोई काम तेरा
नही समझ सके पैगाम तेरा।

जब तक ना हो गुरु मौज तेरी
पहचान नही सकता कोई,
जो करे कभी सौ तर्क मगर
अनुमान नही लगता कोई ।

करे स्वयं प्रेम जीवों से जब
कुछ दया नज़र तब आती हैं,
वर्णा तो ज्ञानी अभिमानी की
हर विद्या मुँह की खाती हैं।

भाग्यवान वो जिनको गुरु ने
किरपा कर अपनाया हैं,
जब हुई मौज उनपे गुरु की
कुछ समझ उनकी तब आया हैं।

???? जयगुरूदेव ????
रचनाकार:- प्रेम देशमुख
जयगुरुदेव आवाज़ टीम