स्तुति तेरी करते मेरी
बीत जाए ये उमर तमाम
तुझ अनुकंपा से प्रियकन्ता
सुख दुःख से होऊँ ऊपराम
साँस साँस पे हर पग पग पर
लेता रहूं बस तेरा नाम
मैं अज्ञानी करू नादानी
क्षमा करो हे पूरनकाम
कुटिल कलुषित मन ये मेरा
झुकें सदा तेरे आगे
हे कृपाल अब करो कृपा सब
दूर भरम मेरा भागे
नित नूतन हो महाप्रेम गुरु
तुम चरनन की आश जगे
यदा यदा ही नयन मून्दू मैं
सदा तू मेरे पास लगे
रहे निरंतर याद तेरी एक
पल की कभी ना दूरी हो
मैं हूं तेरा तू हो मेरा
अभिलाषा ये पूरी हो
???? जयगुरूदेव ????
रचनाकार:- प्रेम देशमुख
जयगुरुदेव आवाज़ टीम