गुरू की मुरत मन में ध्याना । गुरू के शब्द मन्तर मन माना ।।
गुरू के चरण हृदय लै धारो । गुरू परब्रह्म सदा नमस्कारो ।।
मत कोई भरम भूलो संसारी । गुरू बिन कोई न उतरति पारी ।।
भूले को गुरू मारग पाया । अवर तियाग हरि भक्ति लाया ।।
जन्म मरण की त्रास मिटाई । गुरू पूरे की बे-अन्त बड़ाई ।।
जिन्ह पाया तिन्ह गुरू ते जाना । गुरू कृपा ते मुगध मन माना ।।
गुरू प्रसादि उर्ध कमल बिगाशे । अन्धकार में भया प्रकाशै ।।
गुरू करता गुरू करने योगः । गुरू परमेश्वर है भी होगः ।।
कहे नानक प्रभू एहो जनाई । गुरू बिन मक्ति न पाइये भाई ।।