गुरू महिमा है अपार जगत में, गुरू महिमा है अपार ।। टेक ।।
गुरू कृपा से कितने तर गये, हो गये भव से पार ।। जगत में, गुरू महिमा है अपार ।
पत्थर में भी प्राण पुगाते, जड़ को चेतनवंत बनाते ।
प्रेम दया भंडार ।। जगत में, गुरू महिमा है अपार ।
मंद बुद्धि की जड़ता हरते, मूरख को भी ज्ञानी करते ।
जीवन के करतार ।। जगत में, गुरू महिमा है अपार ।
भेद भाव हृदय नहीं धरते, ज्ञान दीप से तिमिर को हरते ।
तेज पुंज अवतार ।। जगत में, गुरू महिमा है अपार ।
सब प्रेमी मिल धूम मचाओ, सतगुरू के गुण प्रेम से गाओ।
गुरू नाम है सार ।। जगत में, गुरू महिमा है अपार ।