सुन ले रे नर चतुर सुजान
ना कर अभिमान
छोड़ नादानी
तेरी दो दिन की जिंदगानि
अभी आयेगा यम का फ़रमान
अरे तू मान
ना कर मनमानी
तेरी होगी रे खतम कहानी
जिस तन पे हैं तो इतराये
ये माटी में मिल जाये
तेरे जितने हैं सगे सम्बन्धी
कोई एक भी का न आये
सब दुनियां के सामान
अरे तू जान
काम नही आनी
तेरी होगी रे खतम कहानी
जिस माल का मालिक बनता
जिसपे हक़ अपना समझता
तेरे साथ न जायेगा तिनका
किस बात पे इतना अकड़ता
तेरा अंत होय शमशान
अरे नादान
क्यो अकल हैरानी
तेरी दो दिन की जिंदगानी
जय गुरुदेव समझाये
तेरी काहे रे समझ न आये
तेरा कोई भी कुछ भी यहां ना
क्यो इतना जोर लगाए
तेरे सारे मान मकान
तेरी दुकान
यही रह जानी
तेरी फौरन होगी रवानी
सुन ले रे नर चतुर सुजान
ना कर अभिमान
छोड़ नादानी
तेरी होगी रे खतम कहानी
???? जयगुरूदेव ????
रचनाकार:- प्रेम देशमुख
जयगुरुदेव आवाज़ टीम