परम पूज्य संत बाबा जय गुरु देव जी महाराज

!! जय गुरुदेव नाम प्रभु का !! बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है, कलियुग जा रहा है, सतयुग आ रहा है

जन-जन में होगी क्रान्ति

जन-जन में होगी क्रान्ति, हम तुम्हे दिख देंगे। रूढ़ि धर्म विवादों को, हम, मिटा के दिखा देंगे। मान अभिीमानियों के हम, मिटा के दिखा देंगे। जात-पात के जो झगड़े हैं, उन सबको मिटा के दिखा देंगे। प्रजा-राजा में न एकता, इन सबमें सबमें एकता करा देंगे। शराब, मास, मछली खाते-पीते, हम मना-मना के अवश्य छुड़ा देंगे। जिनको न शांति मिल सकी, उनको शांति दिला देंगे। यह बाबा जयगुरूदेव जी का संकल्प है यह तो पूरा होगा। लेकिन हमें अपने को बदलना पड़ेगा, उनके वचनों को सुनना होगा और उस पर अमल करना होगा। हम मानें न मानंे लेकिन यह सच है कि सन्त और फकीर त्रिकालदर्शी होते हैं। इसीलिए वे सबको सावधान करते हैं और बचने का रास्ता बताते हैं। हम मान लेंगे बच जाएंगे, नहीं मानेंगे तो खाई-खन्दक में गिरेंगे। अब हम सबके सामने दो ही रास्तेक हैं। हम बाबाजी की बात मानकर अपने को बचा लें या दैविक-भौतिक आपदाओं की की खाई-खन्दक में गिर कर अपना अस्तित्व खत्म कर दें। बाबा जी ने तो हमेशा से सबको बचाने का प्रयास किया और आज भी कर रहे हैं लेकिन नासमझी के कारण कभी उनको राजनैतिक कहा गया, कभी अराजक तत्व कहा गया, कभी असामाजिक तत्व कहा गया। कहने वाले कहते सुनते अपनी ही क्रिया-कर्म की तलवार से खत्म होते चले गऐ। बाबा जी शाश्वत हैं, आज भी उनकी वाणी सबको आगाह कर रही है। कि बच जाइऐ, समय ख्राब है, अपने बचाव का रास्ता अपनाइऐ, अमानुषिक काम छोड़ दीजिए, मानवता के काम कीजिए, जीवों पर दया कीजिए, पशु-पज्ञियों के खून को अपने खून में मत मिलाइऐ और थोड़ा समय निकाल कर अपनी जीवात्मा के कल्याण के लिए उस मालिक, उस खुदा से, गाॅड (हवकद्ध से सच्चे दिल से प्रार्थना कीजिए कि हे सर्व शक्तिमान प्रभु, मालिक, खुदा, अल्लाह या रब मेरी आत्मा को, रूह को सच्चा रास्ता दिखा, जिस पर चलकर मैं अपना लोक-परलोक बना लू। अब वक्त है ऐसी सच्ची प्रार्थना करने का, धर्म और मजहब के नाम पर लड़ने कर नहीं, जाति-पाति के झगड़े का नहीं, निन्दा आलोचना का नहीं। हम बहुत लड़ लिए, झगड़े-फसादें कर लिए बहुत नुक्ताचीनी की। सिवाए नफरत के हमें मिला क्या ? नफरत की ऐसी ज्वाला जली कि इसमें घर-परिवार जल गऐ, जातियां और समाज जल गऐ, सारा देश जल उठा। इसीलिए सारी मानवता बहुत थक गई है अब हर कोई ऐसी छांव चाहता है जहा उसे ठंडक मिले, आराम मिले, शान्ति और सुकून मिले और यह सब वहीं मिलेगा जहा शान्ति के सन्देश होते हैं, मानव कल्याण के सन्देश होते हैं, मानव धर्म और मानव कर्म के सन्देश होते हैं और आत्माओं को, रूहों को जगाने के सन्देश होते हैं। ऐसे सन्देश वे सन्त-फकीर ही देते हैं जो समदर्शी हें और सब जीवों में उस प्रभु की अंश जीवात्मा को देखते हैं। सौभाग्य से वक्त का इतना बड़ा वरदान है कि बाबा जयगुरूदेव जैसी महान हस्ती सभी मानव आत्माओं का आहवान कर रीह है जो वक्त की मांग है, वक्त की पुकार है।अगर उनकी आवाज सुनकर भी हम अपने को न बचा सके, अपनी जीवात्मा का कल्याण न कर सके तो हमारा इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा।