मम अन्तःपटल पे तेरी ही हो
छबि मेरे हे प्राणाधार,
तुम आशीष की रश्मियों से
हुआ करे मेरा श्रृंगार।
अटल सदा विश्वास रहे तव
चरणों में हो प्रेम अपार,
निज अंशो की चूक छमा करो
सुनहु प्रभु मम करुण पुकार।
हे सर्वाश्रय हे करुणामय
हे सतगुरु हे परम् उदार,
हे भव भंजन हे जन तारक
हे सुख सागर अरम्पार।
हे दुविधा हर हे निर्भय कर
हे सुख कर हे जगताधार,
हे सतलोकि परम् विभूति
नमन तुम्हे गुरु बारम्बार।
???? जयगुरूदेव ????
रचनाकार:- प्रेम देशमुख
जयगुरुदेव आवाज़ टीम