अधिकारियों से मैं निवेदन करूंगा कि वे शराब पीना छोड़ें, नहीं तो एक दिन ऐसा आऐगा कि एक आदेश मिलेगा और आपकी नौकरी खत्म। फिर आपको पश्चाताप होगा। आद्यात्मिक परा विद्या आने वाली है। वह कुछ करने वाली है। चुप रहने वाली नहीं हैं। कुछ होने वाला है, वक्त बदलने वाला है। एक वक्त आ रहा है जब विदेश के लोग आपका कर्ज माफ कर देंगे तब आप बाबा जी की बात मान लीजिएगा। राजनीति एक व्यवस्था है और कुछ नहीं। आपको चांटा न लगे और होश आ जाऐ यह मानवता हैं। चांटा लगा, चोट लगी तब होश आया यह होशियारी नहीं, मानवता नहीं। मैं आद्यात्मिक साधना कराना जानता हूं। मैं आद्यात्मिक हूं, धार्मिक हूं। मैं राजनीतिक नहीं हूं। अच्छे व्यक्तियों का स्वागत करता हूं और चाहता हूं कि आप सब लोग अच्छे बनो। अच्छाईयों, बुराईयों को मैंने समझा दिया और अब भगवान का चमत्कार होगा। पर श्रेय आपको मिलेगा। भारत की गरीब जनता बुद्धिमान है। यह जल्दि ही धर्म सूत्र में बंधने वाली है। आप भी धर्म सूत्र में बंधिये। एक वक्त आ रहा है जब सबको धर्म सूत्र में बंधना ही होगा। अखबार वालों से मैं निवेदन करूंगा कि आप बात वही लिखें जो मानव हित की हो। जनता जनार्दन न जाने कब जग जाऐ और क्या कर दे। अगर आपने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया तो कुछ ही दिन में लोग अखबारों से एकदम मुड़ जाऐंगे। इस लिए इसे समझना चाहिए।
(शाकाहारी पत्रिका के सौजन्य से: 21 जुलाई 1980)