मुझे भूख हो भजन की
दर्शन की प्यास हाये
दर्शन की प्यास हाये।
तू दिल मे मेरे फिर भी
तेरी तलाश हाये,
तेरी तलाश हाये।।
दुनियां की भूख ऐसी
मिटती नही मिटाए।
इस भूख ने यहाँ पर
जीवन हैं कितने खाये।
कितने जतन करू मैं
बस में मेरे ना आये,
बस में मेरे न आये।।
मुझे भूख हो भजन की।
पानी की प्यास हो तो
पीकर उसे बुझाऊँ।
आँखों मे प्यास तेरे
दीदार कैसे पाऊँ।।
इसको बुझाने मैंने
कितने जनम गवाये,
कितने जनम गवाये।।
मुझे भूख हो भजन की।
अब के मीले हो तुम तो
सब भूख दो मिटा के।
हर प्यास कर दया से
गुरु देना तुम बुझा के।।
बस भूख हो भजन की
दर्शन की प्यास हाये,
दर्शन की प्यास हाये।।
???? जयगुरूदेव ????
रचनाकार:- प्रेम देशमुख
जयगुरुदेव आवाज़ टीम