महात्माओं को कोई नहीं समझ सकता है। वो अगर बच्चों का भी खेल खेलें तो समझो कि कोई राज है। इसलिए जो वह कहें उसे करो, लेकिन जो वह करे उसे कभी न करो। तुम्हें तो कुछ मालूम नहीं है। कुदरत डण्डा लेकर खड़ी हो गई है, तुम उसके बीच में मत पड़ो। वह जो कर रही है करने दो। तुम चुप रहो उसके बीच में पड़ोगे तो पिस जाओगे। मैंने कोई भी बात हवा में नहीं की थी न मैंने कोई हवाबाजी की। शंकर भगवान देश-विदेश में घूम रहे हैं तो कुछ करके जाऐंगे। मैं भीड़ लगाना भी जानता हूं और भीड़ खदेड़ना भी जानता हूं। मेरे पास हर तरह के अच्छे बुरे लोग हैं। मुझे तो सबको निपटा करके चलना हैं। तुम सब लोग आपस में प्रेम मुहब्बत से रास्ते को पार करते चलो। करोंड़ों साधू महात्माओं में कहीं कोई एक भजन करने वाला होता है। मैंने पत्रकारों के बीच में यह स्टेटमैंट दिया था, एक अपील किया था कि अमेरिकी बन्धकांे को ईरान छोड़ दे इसी में ईरान की भलाई है और विश्व का कल्याण होगा। अगर ऐसा नहीं करता है तो फिर नुकसान है। मुझको जो कुछ भी कहना था मैं कह चुका हूं। अब मुझे कोई आगाह करने की आवश्यकता नहीं है। शुद्ध आध्यात्मवाद पर सत्संग करूंगा और अब चुप रहना चाहता हूं। लोग जरा से स्वार्थ में बह जाते हैं, फिर गिर जाते हैं, मनमुखी हो जाते हैं। कितनी मेहनत से लोगों पर संस्कार डाला जाता है और संगत तैयार किया जाता है इसे कोई नहीं समझ सकता। भावनाओं की बात होती है। अच्छी भावनाओं से जो काम किया जाऐगा उसमें सफलता मिलेगी। भावनाऐं अच्छी नहीं होंगी तो काम भी सफल नहीं होगा। मेरा रास्ता सीधा है। जो सीधा चलेगा पार हो जाऐगा, जो गड़बड़ करेगा गड़बड़ हो जाऐगा, मेरा कोई नुकसान नहीं है।
पुराने समय में राजाओं के पास जागीरदार होते थे। इन लोगो के पास किसी के 20 घोड़े, 40 घोड़े, 10 घोड़े रहते थे। जब राजा को जरूरत पड़ती थी तो इन जागीरदारों से काम ले लेते थे। राज्य की अर्थव्यवस्था में व्यापारी वर्ग का भी बहुत बड़ा हाथ होता है। देश का व्यापारी वर्ग सरकार का जागीरदार है। इन्होंने साथ दे दिया तो सरकार चल जाऐगी। ये साथ नहीं देंगे तो सरकार बैठ जाऐगी…….।
(शाकाहारी पत्रिका के सौजन्य से: 7 नवम्बर 1980)