मैं रिझाऊँ कैसे तुमको
रिझाऊँ कैसे
रूठ गया हैं मेरा सांवरियां
हाय! करू क्या मनाऊँ कैसे
सूझ बूझ मोरी तो काम न आये
कासे कहूँ कोई राह न पाए
हाले ज़िया का सुनाऊँ कैसे
मैं मनाऊँ कैसे तुमको।
हैं सब ठौर पर नजर ना आये
सपनेहुँ कोई संदेश ना लाये
तडफ़ जिया की मिटाऊँ कैसे
मैं रिझाऊँ कैसे तुमको।
तू जो कहे वो मैं कर के दिखाऊँ
जो कोई वस्तु हो लाके दिखाऊँ
बस में ना हो तो मैं लाऊँ कैसे
मैं रिझाऊँ कैसे तुमको।
खेल तू कौन से खेल दिखाये
एसो भी का कछु समझ ना आये
धीर जिया को बंधाऊ कैसे
मैं रिझाऊँ कैसे तुमको।
कौन घड़ी होगी जो तू आये
वो दिन वो तिथि कौन बताये
तब तक प्राण बचाऊँ कैसे
मैं रिझाऊँ कैसे तुमको।
मैं रिझाऊँ कैसे तुमको
मनाऊँ कैसे तुमको
???? जयगुरूदेव ????
रचनाकार:- प्रेम देशमुख
जयगुरुदेव आवाज़ टीम