कोई तर्क करे उनचास
मुझे वो हिला नही सकते।
हैं प्रबल मेरा विश्वास
छोड़ तुम जा नही सकते।।
कोई लाख करे बकवास
मुझे बहका नही सकते।
मेरे मन का जिंदा अहसास
तोड़ तुम जा नही सकते।।
ऐ जरूर कोई मौज तुम्हारी
देख न पा रही नजर हमारी
कहि जाके बसे प्रदेश
कई कारण हो सकते।
मेरे दिल के लहुँ का प्रवास
मोड़ तुम जा नही सकते।।
परिवर्तन होना है भारी
सतजुग स्वागत की तैयारी
कई काम हैं उनके खास
और कोई कर नही सकते।
भरे हामी जमीं आकाश
छोड़ तुम जा नही सकते।।
चौथे यज्ञ की आगयी बारी। दस करोड़ की भागीदारी।।
सतयुग का करे आगाज़
देर ये लगा नही सकते।
मेरे मन का परम हुलास
तोड़ तुम जा नही सकते।।
बचन तुम्हारे प्रामाण हमारा
उनपे भरोषा ईमान हमारा
ये तुम्हारा परम् सँदेश
कभी हम भुला नही सकते।
मेरे हृदय में रूप विशेष
हटा तुम जा नही सकते।।
???? जयगुरूदेव ????
रचनाकार:- प्रेम देशमुख
जयगुरुदेव आवाज़ टीम