जो तूं हरि नमवां दियो है भुलाय ॥
असढ़वा बोईबो, कुवरवा कटबो, बुइबो कतिकवा अघाय।
आगे चलि के सूखा पड़ि हैं, तब तूं का बोईबो भाय ॥१॥
अन्न बिना सब भूखन मरिहैं, फिर या कहुं नाहिं सुहाय।
साथे महियां गदरो होइहैं, ईमान कोई बिरले लाय ॥ २॥
लड़े सब शहाना रियाया, कोई न धीर धराय।
मज़हब वाले सबै लड़िहैं, कोई न माने भाय ॥ ३॥
जितने मज़हब हैं दुनियां में, सब कर नाश होई जाय।
समय आवै औतारी होइहैं, ब्रम्ह-ज्ञान फिर फैलाय ॥४॥
ब्रम्ह-ज्ञान बाद नास्तिक होवे, महाप्रलय फिर आय।
दुनियां भर में हलचल मचि हैं, ईमान कोई बिरले लाय ॥५॥
जितने हैं पापी और कुकर्मी, दुनियां से जड़हैं हेराय।
उनइस सौ सत्तर अस्सी इस्वी तक, गंदला सबै साफ हो जाय।
शाह सतगुरु वाज़िद नईम, इनायत कुदरती को गये बताय ॥६॥