परम पूज्य संत बाबा जय गुरु देव जी महाराज

!! जय गुरुदेव नाम प्रभु का !! बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है, कलियुग जा रहा है, सतयुग आ रहा है

पोथी १ :-

एक बार रविदास ज्ञानी, कहन लगे सुनो अटल कहानी ।

कलयुग बात सांच अस होई, बीते सहस्त्र पांच दस दोई ।

भरमावे सब स्वारथ के काजा, बेटी बेच तजे कुल लाजा ।

नशा दिखावें घर में पूरा, मात-बहन का पकड़े जूरा ।

अण्डा-मांस मछलियां खावें, भिक्षा कर अति पाप कमावें ।

जबरी करिहैं भोग विलासा, सज्जन मन अति होय निरासा ।

पर नारी को गले लगइहैं, नारी भी अति आतंक मचइहैं ।

अपने पति को मार भगइहैं, पर प्यारे को गले लगइहैं ।

कर्म देख पृथ्वी फटि जइहैं, अम्बर भी दरारे खड़हैं ।

अति भीषण क्रांति की ज्वाला, तामें कूद पड़े मतवाला ।

जब देश आजाद होई जइहैं, वो शक्ति जाकर छुप जइहैं ।

धरे वेष साधु का न्यारा, गुरु नाम का करें परचारा ।

बल्कल (टाट बोरा) का वस्त्र पहिनइहैं, साधन भजन सबसे करवइहैं।

ऐसा मंदिर एक बनवइहैं, जो भूमण्डल पर कहीं न दिखइहैं।

पंचम कलश अनोखी मूरत, झंडा स्वेत सुरीली सूरत ।

गुरु नाम से सब जग जाने, उनको परम पूज्य अति मानें ।

सत्य पंथ का करि परचारा, देश धर्म का करि विस्तारा ।

करै संगठन बनि ब्रह्मचारी, उन समान कोई न उपकारी ।

अस कहि मौन भये रविदासा, विनय पूर्ण मुनि प्रेम प्रकासा ।

 

 

पोथी २:- 

भारत में अवतारी होगा, जो अति विस्मयकारी होगा ।

ज्ञानी और विज्ञानी होगा, वो अद्भुत सेनानी होगा ।

जीते जी कई बार मरेगा, छद्म वेष में जो विचरेगा ।

देश बचाने के लिए होगा एक आवाहन,

युग परिवर्तन के लिए चले प्रबल तूफान ।

तीनों ओर से होगा हमला, देश के अन्दर द्रोही घपला ।

सभी तरफ कोहराम मचेगा, कैसे हिन्दुस्तान बचेगा ।

जिन-जिन भारत मात सताई, जिसने इसकी करी लुटाई ।

नेता मंत्री और अधिकारी,इनको जान बचाना होगा भारी ।

छोड़ सब मैदान भगेंगे, सब अपने-अपने घर में दुबकेंगे ।

ढूंढ़ ढूंढ़ कर बदला लेगा, सब हिसाब चुकता कर देगा ।

चीन अरब की धुरी बनेगी, विध्वंसक ताकत उभरेगी ।

सभी तरफ संगीन लड़ाई, घाटे में होंगे ईसाई ।

ईटली में कोहराम मचेगा, लंदन सागर में डूबेगा ।

युद्ध तीसरा अति प्रलयंकारी, जो होगा भारी संहारी ।

भारत होगा विश्व विजेता, भारत होगा विश्व का नेता ।

दुनिया का कार्यालय होगा, भारत में न्यायालय होगा ।

तब सतयुग दर्शन आएगा, संत राज सुख बरसाएगा ।

सहस्त्र वर्ष तक सतयुग लागे, विश्व गुरु बन भारत जागे ।

 

Source:- संत रविदास जी की ज्ञान पोथी से संकलित