परम पूज्य संत बाबा जय गुरु देव जी महाराज

!! जय गुरुदेव नाम प्रभु का !! बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है, कलियुग जा रहा है, सतयुग आ रहा है

सत्संग वचन

अनेकों जन्मों के पुण्य जब जमा हो जाते हैं तब यह अनमोल मनुष्य शरीर मिलता है। इस शरीर द्वारा महात्माओं की खोज करनी चाहिऐ और जब वे मिल जाऐंगे तब वह सच्चा रास्ता प्रभु प्राप्ति का बताऐंगे। इस मनुष्य रूपी कपड़े में ही जीवात्मा बैठी हुई है। जीवात्मा को ही संतों ने सुरत कहा है। इस मनुष्य रूपी कपड़े को तुम उन्हें दे दो तो वे सारी गंदगी मन, बुद्धि,चित्त और अहंकार की धो देंगे। जब जीवात्मा की गंदगी धुल जाऐगी तब वह निर्मल हो जाऐगी। यह देश जिसमें तुम रह रहे हो काल और कर्मों का देश है। काल के नियम के खिलाफ जो जो कर्म तुम करोगे उसके अनुसार ही तुम्हें फल मिलेगा। यह तुम्हारा घर नहीं है, यह परदेश है। दोनों आँखों के पीछे सुरत बैठी है जहां से रास्ता गया है। बहुत सीधा रास्ता है सीधी सड़क है जिस पर चलकर के तुम अपने निज घर में पहुँच जाओेगे। तुम यहां के रहने वाले नहीं हो। तुम्हारा घर बहुत दूर है जो पिण्ड,अण्ड और ब्रह्माण्ड के परे है। सच्चा सुख और सच्ची शांति तुम्हें अपने घर में ही मिलेगी। सारी जीवात्माऐं चाहे स्थल में हों, जल में हों, या आकाश में हों सत् देश से ही आईं हैं। महात्माओं से रास्ता लेकर के उनकी शिक्षाओं के अनुसार तुम अभ्यास करने लगो, भजन की कमाई करने लगो तो एक दिन तुम अपने सच्चे पिता के पास, अपने सच्चे देश पहुँच जाओगे। वहाँ न रोना है न धोना है न बीमारी है न झगड़े झंझट हैं और न वहाँ काल जा सकता है।