कर्मों का विधान बड़ा जटिल है इसे बुद्धि के द्वारा नहीं समझा जा सकता। लड़का हो, भाई हो या पत्नी हो सबको अपने अपने कर्म भुगतने पड़ते हैं। प्रत्येक आत्मा को अपने किऐ का हिसाब देना पड़ता है। कोई भी दूसरे के कर्मों का भार अपने ऊपर नहीं ले सकता। यदि आपके लड़के को अपने पूर्वजन्म का हिसाब आपसे तय करना है तो यह अच्छा है कि आप अपना कर्जा खुशी खुशी अदा कर दें। सभी व्यक्ति जिनसे हमारा पूर्वजन्म का संबन्ध था उनसे लेन-देन होती है चाहे लड़का हो या लड़की, माँ बहन हो या अन्य सगा संबन्धी हो। कोई किसी का साथ नहीं देता, सब अपना कर्जा मुजरा कराते हैं। आपको नामदान मिला है। आवाज यानी शब्द-धुन आपके अन्दर हर समय हो रही है वही आपके साथ जाऐगी। इसलिए भजन करें और शब्द-धुन को यानी नाम को पकड़ लें तो वो आपको भवसागर से पार ले जाऐगी। जो आपको नामदान के समय बताया गया है उसके अनुसार भजन के समय उस आवाज को सुनें, उसमें कशिश है और वो जीवात्मा को खींचकर अपने में मिला लेगी फिर आप जन्म-मरण के चक्कर से छूट जाऐंगे। उस नाम की महिमा नहीं कही जा सकती। महात्माओं ने कहा भी है कि:-
कहा कहूँ मैं नाम बड़ाई।
राम न सकहिं नाम गुण गाई।।