परम पूज्य संत बाबा जय गुरु देव जी महाराज

!! जय गुरुदेव नाम प्रभु का !! बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है, कलियुग जा रहा है, सतयुग आ रहा है

सत्संग वचन

सत्संगियों को अपना जीवन ऐसा बनाना चाहिऐ जैसे कछुआ। जब जरूरत पड़ी संसार के काम के लिए फैले फिर भीतर चले आए। उस प्रभु की याद में लग जाओ और घर परिवार में प्रेम से रहो। यदि तुमने अपना जीवन ऐसा बना लिया तो क्या साधन क्या भजन। तुम्हारा काम बना हुआ है। तुम्हारे पहले के कर्मों की जिम्मेदारी तो हमने ले ली है अब आगे नऐ पाप मत चढ़ाओ। पुराने पाप तो मैं साफ करूँगा। अब तुम्हें और क्या चाहिऐ।

तुम सबसे प्रार्थना करता हूँ कि आपस में लड़ो मत। तुम स्त्रियों को झिड़को मत, इन्हें सताओ मत। तुम इन्हें सम्मान दोगे, इन्हें आदर दोगे तो तुम्हारी धर्म में उन्नति होगी। तुम्हारी सम्पत्ति में वृद्धि होगी। तुम्हारे यहाँ निरोगता रहेगी, सम्पन्नता रहेगी। तुम्हारे पास प्रेम रहेगा, आनन्द रहेगा। सन्तुष्टि भी रहेगी। देवियाँ भी तुम्हारा आदर करेंगी सम्मान करेंगी।

यह नियम है कि जहाँ आशा होती है वहीं बासा मिलता है। हमें तो सतलोक चलने की आशा दृढ़ करनी है। उस सतपुरूष की गोद में पहुँचना है उससे पहले कुछ नहीं। इसके लिए बड़ी आसान तरकीब है कि हम अपनी तवज्जह से हर रोज सतलोक में सुरत को भेजो तो धीरे-धीरे सुरत में चाल चलने लगेगी।

नीचे की आशा मत रखना, हमें ऊँचे देश में चलना है। ऐसे ही भजन बनता है। भजन बनता है आज्ञा पालन से। आज्ञा पालन नहीं किया तो भजन कैसे बनेगा। भजन पर बैठे तो मन भागता है तो काम कैसे बनेगा। मन को स्थिर करने के लिए, मन को ठहराने के लिए आज्ञा पालन जरूरी है। मन आज्ञा पालन से रूकता है। इसलिए जैसे भी हो एक घण्टा सुबह और एक घण्टा शाम को समय भजन ध्यान में दो तब काम बनेगा। इस काम में लापरवाही अच्छी नहीं। यही अपना काम है, जीवात्मा का काम है।