परम पूज्य संत बाबा जय गुरु देव जी महाराज

!! जय गुरुदेव नाम प्रभु का !! बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है, कलियुग जा रहा है, सतयुग आ रहा है

सत्संग वचन

सूरत (जीवात्मा) दोनों आँखों के पीछे बैठी है। वहीं पर नाम है। घण्टा घड़ियाल बज रहा है। यही नाम, आवाज, सुरत की सच्ची खुराक है। प्रेम का होना जरूरी है तभी करनी बनेगी। प्रेम बिना करनी कभी नहीं बनेगी और प्रेम के बिना जो भी करनी है वो सब फीकी है। जो भी किया जाऐगा कर्म फल जरूर मिलेगा। गुरू की कृपा से भक्ति का फल मिलता है।

गुरू भक्ति करोगे तो मन बुद्धि चित्त जुड़ेंगे, काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार से छुटकारा होगा। गुरू भक्ति नहीं किया तो कुछ भी नहीं होगा। गुरू से प्रेम होगा तो उनके आदेश का पालन होगा। प्रेम नहंी हुआ तो आदेश का पालन भी नहीं हो सकता। हम लोग जानते ही नहीं हैं कि गुरू भक्ति किसे कहते हैं। इसलिए उनसे प्रेम करो और उनके आदेश का पालन करो।

गुरू भक्ति से बाहर के बन्धन ढीले होंगे और जो अन्तर में जो झीने बन्धन हैं वो नाम से कटेंगे। जो साधन गुरू ने बताया उससे बन्धन कटेंगे। इसलिए पहला काम आदेश का पालन करना। वहा तो होता नहीं है तभी जकड़े रहते हो। गुरू भक्ति से जितने भी मोटे बन्धन हैं संसार के कटेंगे तभी सुरत जागेगी। मन, बुद्धि और चित्त सुरत का साथ देंगे।