परम पूज्य संत बाबा जय गुरु देव जी महाराज

!! जय गुरुदेव नाम प्रभु का !! बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है, कलियुग जा रहा है, सतयुग आ रहा है

सत्संग वचन

इस शरीर में सबसे बड़ा चोर, सबसे बड़ा दुश्मन मन है। इसको जीतने की युक्ति किसी के पास नहीं। बाहरी किसी भी क्रिया जप, तप, पूजा, पाठ से तीरथ-व्रत करने से नदियों में डुबकी लगाने से यह वश में नहीं होता। यह चोर और दुश्मन किसका है ? सुरत का।

बाहरी क्रियाओं से यह जीता नहीं जा सकता। सहस्रदल कंवल से यह सुरत के साथ नीचे उतारा गया। जब से यहाँ आपने बखेड़ा ख्ड़ा कर लिया तबसे शब्द छूट गया। यह मन दुश्मन भोगों का गुलाम बन गया और भाग इन्द्रियों के गुलाम हो गऐ। अब जब महात्मा मिलेंगे और युक्ति बताऐंगे तब इसको काबू में किया जाएगा। संतों ने आकर आपको समझाया, रास्ता बताया और कहा कि आप थोड़ा समय अभ्यास में दो, साधन भजन करो और इसको साथ लेकर सुरत के घाट पर बैठो। जब यह सुरत के घाट पर बैठेगा, शब्द सुनेगा तब इसकी इच्छा जागेगी भजन की। जब यह इन्द्रियों के घाट पर नहीं जाऐगा।

नामी के पास आप कैसे पहुँचोगे ? जब नाम को पकड़ोगे। धुन सुनोगे उसमें लय होगे। लय होने का मतलब ही है शब्द को पकड़ना। शब्द को पकड़कर आप वहाँ पहुँच जाओगे जहाँ से शब्द आ रहा है। जब तक अन्तर घाट पर बैठकर रास्ता नहीं मिलेगा जीव को छुटकारा नहीं मिल सकता। जो मनुष्य शरीर में आऐ, भाग्य से उनको रास्ता मिला, उन पर गुरू की कृपा हुई वह तो पार निकल गऐ। बाकी तो ये है कि लगे रहो। लगे रहोगे तो कभी न कभी पार निकल जाओगे।

वह मालिक अपने लोक का राजा है आप लोग सत्संग में समय से आ जाया करो ताकि एक भी शब्द छूटे नहीं। जितने शब्द छूटेंगे उतनी ही काल की जूतियां पडें़गी। सत्संग मिले, रास्ता मिल जाऐ तुम बैठने लगो तब मन बुद्धि चित्त सुरत का साथ देने लगंेगे। उनकी आदत पड़ गई है भागने की और अब आदत छूटती नहीं है। इसके लिए आप चीखो, पुकारो प्रार्थना करो रोओ तब कुछ काम बनेगा नहीं तो यह आंधी की तरह से इनका जोर उठता रहेगा। आधार छूट गया, रास्ता छूट गया, काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार सवार हो गया। अब बिना आधार के इनको वश में नहीं किया जा सकता।

महात्मा मिल जाऐं उनकी दया हो जाऐ वो आधार दे दें। तुममें तड़प आ जाऐ तब तो ये मन बुद्धि,चित्त बदल जाऐंगे नहीं तो पानी के पत्थर की तरह पड़े रहो। मन को वश में करने के लिए सत्संग की जरूरत है फिर भजन करो। सत्संग करो, सेवा करो और भजन करो ताकी मन खराब आदतों को बदल दे और अच्छी आदतों को पकड़ ले।