सवाल
स्वामी जी! संसार के बन्धन बड़े विकट हैं, कैसे कटेंगे?
जवाब
संसार के बन्धन बहुत से हैं एक दो नहीं। काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार ये सब तो प्रत्यक्ष बन्धन हैं। इन्हें काटना सरल काम नहीं। इनको ढीला करना है तो शील, क्षमा, संतोष, विरह, विवेक को अपनाना होगा। काम आवे तो उसे शील से, क्रोध आवे तो क्षमा से, लोभ आवे तो संतोष से, मोह आवे तो विरह से और अहंकार आवे तो विवेक से शान्त करना चाहिऐ। गुरू के वचन याद रखने से ही ये बन्धन ढीले होंगे। मोटे बन्धन जगत के गुरू भक्ति से काट झीने बन्धन चित्त के जाऐं नाम प्रताप।। मोटे बन्धन काट लेने पर भी अनेक झीने बन्धन हैं जिनका दैनिक जीवन में मनुष्य को कोई अनुभव ही नहीं होता है। ये जो झीने बन्धन हैं चित्त पर वो नाम के द्वारा ही काटे जा सकते हैं। आंख, कान आदि अन्द्रियों के मोटे बन्धन हैं जिन्हें मनुष्य नहीे काट सकता है तो झीने बन्धन चित्त के कैसे जाऐंगे। झीने बन्धन जो कर्मों के कारण हैं वो न दिखाई देते हैं न सुनाई देते हैं। नाम जब प्रगट होगा तब नाम के प्रताप से ही झीने बन्धन जीवात्मा के टूटेंगे, खत्म होंगे। तो मोटे बन्धन जगत के गुरू भक्ति यानी गुरू की आज्ञा के पालन से ही काटे जो सकते हैं।
जयगुरुदेव