बहुत पहले की बात है | हमारे स्वामी जी (परम पूज्य दादा गुरु जी महाराज) के पास एक आदमी आया और कहने लगा कि महाराज मेरे बाल बच्चे भूखों मर रहे है | कई बार मैंने सट्टा खेला लेकिन कोई दांव नहीं लगा | अब आप दया कर दीजिये |
स्वामीजी महाराज ने कहा कि जाओ अबकी सट्टे में जो दांव लगे उससे छोटा मोटा व्यापार कर लेना और सट्टा खेलना बंद कर देना | तुम्हारी रोजी चल जाएगी लेकिन भगवान को कभी भूलना मत | वह आदमी चला गया और सट्टा भी जीत गया | उसने व्यापार शुरू किया तो कुछ ही समय में एक बड़ा सेठ हो गया | उसके पास कार,कोठी, नौकर चाकर, सभी कुछ हो गये |
काफी दिन बीत गये | एक दिन स्वामीजी महाराज ने मुझे बुलाकर कहा कि बेटे ! वह गरीब आदमी बहुत पहले आया था फिर नहीं आया | पता नहीं उसका हाल क्या है | तुम जाओ और उसका हाल पता ले आओ | में पता लगाते लगाते वहां तक पहुंचा मैंने लोगों से उस व्यक्ति का नाम लेकर पूंछा तो लोगों ने कहाँ कि इस नाम के यहाँ एक सेठ रहते है | मेरे मन में आया कि चलूँ सेठ से ही मिलूं शायद वही हो और में सेठ की कोठी पर पहुंचा | वहां दरबान ने एक कमरे में बिठा दिया और बोला की सेठ जी थोड़ी देर में मिलेंगे | थोड़ी देर में सेठ आया | आदमी वही था लेकिन डील डौल बदल चुका था |
उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा कि कहिये आप कौन है ? कहाँ से आये और क्या काम है ? मैंने कहा कि में चिरौली से आया हूँ | आप को शायद याद होगा कि आप वहां एक महात्मा जी के पास गये थे | मुझे स्वामी जी ने आप का हाल लेने के लिए भेजा है | उसने कुछ सोच विचार की मुद्रा में कहा कि हाँ कुछ याद तो आ रहा है कि में एक गांव में गया था और साधारण से पंडित जी से मिला था | मैं बोला कि अच्छा में जा रहा हूँ और चल दिया | चिरौली आकर मैंने सब हाल स्वामी जी को ज्यों का त्यों बता दिया | स्वामी जी ने कहा कि अच्छा ऐसी बात है और चुप हो गये |
कुछ दिन बाद की बात है में स्वामी जी के पास घर के बाहर दरवाजे पर बैठा हुआ था | फिर वही आदमी फटे हाल आया और स्वामी जी के चरणों में गिर पड़ा और रोने लगा | उसने कहा की महाराज जी मैं माया में इतना अँधा हो गया कि आपकी बात भूल गया और फिर सट्टा खेला | इस सट्टे में मेरा सब कुछ चला गया | अब फिर दाने दाने का मोहताज हूँ | स्वामी जी ने कहा बच्चा ! दया हुई तो तुने ठुकरा दिया | अब तो मेहनत कर और अपनी रोजी रोटी चला |