आपको रास्ता जब मिल गया है तो भजन करो। जो प्रारब्ध उसने तुम्हारा बना दिया गया है वह तुमको रोज मिलेगा। इसलिए दुनियां में ज्यादा फंसो मत। काम आप सब करो। खेती का, दुकानदारी का और दफ्तर का। आपको कोई मना नहीं करता पर ईमानदारी से ओर मेहनत से काम करो। हम आपको रास्ता बताते हैं सीधा तो आपको दरवाजे पर बैठना ही पड़ेगा तभी दया होगी।
हमारे पास बड़े बड़े करोड़पति, अरबपति आते हैं और रोते हैं आकर कि बच्चों ने हमारा सब कुछ ले लिया, घर से बाहर कर दिया और हमें बिड़ी तक का पैसा नहीं देते। जब उनके बच्चों को समझाओं तो जाकर अपने माँ-बाप पर नाराज होते हैं कि तुमने जाकर शिकायत की। और करो। हम कुछ नहीं देंगे। तुम चले जाओ घर से।
तो जो कुछ करना है जवानी में कर लो। 25 से 50 साल तक में कर लो नहीं तो कुछ नहीं मिलेगा, जवानी में साधना होगी। हम तो धीरज देते हैं कि दरवाजे पर बैठ जाओ, दया मिलेगी पर बैठते नहीं। दया मिलती है तो लेते नहीं। बताओ क्या किया जाऐ? यह भजन निमित्तमात्र है। कोर्ह कड़ी मेहनत नहीं है। बस थोड़ा मन बुद्धि को रोककर दरवाजे पर बैठ जाओ। निमित्त मात्र तो बैठना ही होगा।
आज कैसा समय आ गया कि लड़के-लड़कियों ने नशा करना शुरू कर दिया और नशे में किसी की पहचान नहीं रह गई। न मां-बहन की, न पिता-भाई की तो होगा क्या? बहुत ही खराब समय है। किन्तु जीवात्माओं के जाने का भी यही समय आया। इसलिए तो गोस्वामी जी ने कहा किः-
कलयुग समयुग आन नहीं,
जो नर कर विश्वास।।
कलयगु के समान और कोई युग नहीं था। न त्रेता न द्वापर। ओर युगों में साधना कठिन थी, तपस्या कठिन थी पर मालिक को प्राप्त करने का रास्ता नहीं था। इसलिए लोगों ने हजारों हजारों साल तक तपस्या की पर मालिक को प्राप्त नहीं किया। कलयुग में महात्माओं ने सुगम पंथ जारी कियाः
सुगम पंथ मोहिं पावें प्राणी।
कलयुग में महापुरूषों ने साधना सरल कर दी और कलयुग में लोगों ने मालिक को प्राप्त किया और आप भी प्राप्त कर सकते हैं।
परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने सभी धर्मो से हाथ जोड़कर विनती प्रार्थना
और अपील की है की आप सब लोग शाकाहारी हो जाये !
बाबा जी का कहना है शाकाहारी रहना है