मन तू भजो गुरु का नाम। टेक।
दया मेहर से नर तन पाया, मत करना अभिमान।
इक दिन खाली पड़ा रहेगा, जाई बसे षमषान।। मन तू भजो गुरु का नाम।
जो धन तुझको दिया गुरु ने, इससे कर कुछ काम।
अन्त समय यूं ही लुट जाएगा, संग न जाई छदाम।। मन तू भजो गुरु का नाम।
यह संसार रैन का सुपना, आय किया विश्राम।
चार दिना के संगी सब हैं, अन्त न आवें काम।। मन तू भजो गुरु का नाम।
तते चेत करो सतसंगत, भजन करो आठो याम।
यही भजन तेरे संग चलेगा, पावेगा आराम।। मन तू भजो गुरु का नाम।
दया मेहर सतगुरु से लेकर, चलो त्रिकुटी धाम।
काल करम से बंधन छूटे, मिले पुरुश सतनाम।। मन तू भजो गुरु का नाम।