वर्तमान राजनीतिक आलोचना जनता के लिए घातक। शासक आदमी है फरिश्ते नहीं। बाबा जयगुरूदेव ने कहा कि वर्तमान शासक आदमियों को दिल्ली में काम करने दें, आलोचना न करें क्योंकि आलोचना से काम करने वालों का मस्तक ऊक-चूक हो जाता है। जब मस्तक बिगड़ गया तो कोई काम सही नहीं होता है। सही काम भी गलत दिखाई देता है।
बाबा जयगुरूदेव ने कहा कि मुझे तो सम्पूर्ण देश की जनता के हितों को देखना है न कि प्रधानमन्त्री। जहां प्रधानमन्त्री सम्पुर्ण देश। बाबा जयगुरूदेव ने देशभक्तों से अपील की कि देश भक्त जनता के हितों को देखें न कि कुर्सी को और किसी की आलोचना न करें। आलोचना से देशभक्तों की शक्ति क्षिण होती है और मानवता की गरिमा जाती रहती है, वाणी में अशुद्धता आती है, जनता में अविश्वास आता है। देश में जो नाजुक दौर-दौरा जनता के दुःखों का चल रहा है इसमें बहुत संख्या में किसान पीड़ित हैं। यह रोग मलेरिया और इनफलूएन्जा का फैल गया है। ऐसा अनुमान होता है कि थौड़े दिनों में टाइफाइड की शक्ल ले लेगा। इसका सही उपचार नहीं किया गया तो अन्त में सन्नीपात हो जाऐगा। ऐसी अवस्था में अनुभवी वैद्य की जरूरत है। रोगी को वैद्य की जरूरत पड़ेगी, न्याय के लिए न्यायाधीश चाहिऐ, पत्नी को पति की जरूरत पड़ेगी, विद्यार्थी को अध्यापक जरूर चाहिऐ, प्रजा बिन राजा के नहीं रह सकती है, राजा को सलाह के लिए राजगुरू अवश्य चाहिऐ। मन्त्री राजगुरू का काम नहीं कर सकता। राजगुरू जनता की कुंजी है। राजगुरू राजा को सलाह नहीं दे सकते फिर योगियों की जरूरत पड़ेगी।
बाबा जयगुरूदेव जी ने फिर जोरदार शब्दों में अपील की कि जनता जनार्दन के हितों के लिए वर्तमान शासक या आने जाने वाले शासक इन सबकी आलोचनाओं का आदान-प्रदान बन्द कर दें। वास्तव में अगर जनता का हित चाहतें हैं तो जनता व देश हित के लिए सरकार को सलाह दें। हमारी सलाह और सहयोग से सरकार कुछ नहीं कर पाती तो आगे भगवान कर्ताधर्ता है, कुछ ईश्वर पर भी विश्वास करो। मनुष्य का कर्तव्य यह है कि ईमानदारी व मेहनत के साथ दुकान-दफतर का काम करें, शाम को बच्चों की सेवा। आधा-पौना घण्टा भगवान का भजन करें। मुसलमान खुदा की इबादत करें, ईसाई गाॅड की प्रार्थना करें सारी समस्याऐं सुलझती दिखाई देंगी। बाबा जयगुरूदेव तो आपके सामने हैं।
(27 दिसम्बर 1980)