मान लो भारत की आबादी 70 करोड़ की है। इसमें बूढ़े-बच्चे, जवान सभी शामिल हैं। देवताओं की पैनी दृष्टि सब पर लगी हुई है और वो अब कुछ करना चाहते हैं। पाप का घड़ा जब भरेगा तो फूटना लाजिम है। करोड़ों लोग तो अभी कुछ दिनों के बाद चले जाऐंगे, कुछ और थोड़े समय के बाद चले जाऐंगे। मूल बात ये है कि महात्मा और सन्त ही बलिदान और शहीद होते हैं इस दुनियां में मानव जाति के लिए और उन्ही का नाम रहता है, बाकी लोगों का नाम खत्म हो जाता है। जो लोग मरकर के यहां से जाऐंगे तो धर्मराय के दरबार में सबका हिसाब होगा तुमने अच्छा-बुरा,-भला, बद-नेक किया सबका हिसाब देना पड़ेगा। फिर तुम कर्मानुसार अनेक कारागारों में बंद कर दिऐ जाओगे। कभी कुत्ते में, कभी बिल्ली में, कभी सांप में । ये योनियां कारागार हैं। नरकों की मार और तकलीफों का वर्णन नहीं किया जा सकता है। इसलिए यह मानव तन निधि है और कर्मों की सजाओं से छूटने के लिए मिला है। कर्मों की सजाओं से छूटने का रास्ता तुम्हें महात्माओं से मिलेगा। तुम्हारा कल्याण वही महात्मा करेगा जिसने जीते जी परमात्मा को प्राप्त कर लिया है। वही तुमको बंधन मुक्त कर सकेगा दूसरा कोई नहीं। अभी थोड़ा वक्त है जल्दी करो, वर्ना समय निकल जाने पर पछताना पड़ेगा। काशी गंगा रेती की बातें याद करो। सतयुग आने वाला है।
(शाकाहारी पत्रिका के सौजन्य से: 7 अगस्त 1980)