बाबा जी अब होशियार हो गऐ हैं। अब तो कुछ बताने वाले नहीं हैं। अब तो बताऐंगे काशी विश्वनाथ बम भोले। यह मैदान कोई मीना बाजार नहीं है। अगर मीना बाजार देखना है तो दिल्ली चले जाइऐ। मानवता देखनी है, सेवा सद्भावना देखनी है, हकीकत और खुदा को देखना है तो यहां आ जाइऐ। अब तो सतयुग के आने का बिगुल बज गया है। हमको अपना काम करने दो। मुसलमानी किताबें कहती हैं कि चैहदवीं सदी के अन्त में इन्सानो में कोहराम मचेगा। यकीन करो औलियाओं पर, पीर-फकीरों पर, ईश्वर पर विश्वास करो।
यह जन प्रेम, जन एकता हैं। इसको कहते हैं सच्चा समाजवाद। मानव समाजवाद को जरा सा भी लोग नहीं जानते हैं। लोग सेवावाद, प्यारवाद, मानववाद जानते ही नहीं हैं, सत्यता नहीं जानते। कामी, क्रोधी, लालची न तो धर्म समझें, न गीता रामायण समझें, न कुरान-बाइबल समझें। न इनको धर्म ग्रंथों पर विश्वास, न ईश्वर, खुदा पर विश्वास है।
मैंने सन 30 में कुछ कहा था तो लोग हंसे थे। मैंने कहा था कि राजाओं का राज्य चला जाऐगा। सूरज जहां से निकलता है जिधर डूबता है इतना बड़ा जिसका राज्य है उसका भी राज्य चला जाऐगा। जमींदार खत्म हो जाऐंगे तो लोग हंसे थे और पागल कहा था। 30 वर्षों में इतना बड़ा परिवर्तन आया कि अंग्रेज चले गऐ, राजे महाराजे चले गऐ, जमींदार, जागीरदार चले गऐ। उस समय किसी ने विश्वास नहीं किया। अब भी कुछ कहता हूं तो लोग हंसते हैं। हंसने की कोई बात होती है; काम की बात और होती हैं। सत्य सत्य ही रहेगा हंसने न हंसने से कुछ नहीं। झूठ का विनाश होता है, सत्य का विनाश कभी नहीं होता। मनुष्य की बुद्धि सुधर जाऐ और समझने लगे तो मानव धर्म आऐगा। मानव धर्म आने पर ही देवधर्म आऐगा। देवधर्म के बाद ही ईश्वर धर्म आता है। इसी ईश्वर धर्म की प्रतीक्षा लोग करते हैं कि मोक्ष और मुक्ति मिले। जन्म-मरण की, दुःख की पीड़ा से मुक्ति मिल जाऐ। भारतवर्ष ही ऐसा देश है जहां महान विभूतियां सदैव आती रहीं और यहीं से धर्म की, मानवता की और ईश्वरवाद की किरण सारे विश्व में फैलती रहीं।
(शाकाहारी पत्रिका के सौजन्य से: 21 सितम्बर 1980)