गुरु भवसागर तर जाऊं कि नैया मेरी पार करो||
मेरे बस में है मन नहीं आता,
तेरी भक्ति में विघ्न मचाता।
ऐसा कर दो जतन जिससे हो न पतन,
मैं सो न जाऊं। नैया मेरी पार करो||
जब मैं बैठूं भजन ध्यान करने
लगती बहुत गुनावन उठने।
अन्तर कर दो सफाई आँख कान खुल जाई।
मैं आनंद पाऊं। नैया मेरी पार करो||
मेरी कर दो गुरु ऐसी बुद्धि
जिससे होती रहे मेरी शुद्धि।
पापों से मैं बचूं नाम तेरा जपूँ।
तुम्हें निहारूँ। नैया मेरी पार करो||
पांच दुश्मन का मैं हूं सताया,
इनका तुम ही करोगे सफाया।।
स्वामी इनसे बचाओ, मुझको मुक्ति दिलाओ।
मैं निज घर पाऊं। नैया मेरी पार करो||
अपने चरणों में रखना लगाए,
आप ही मेरे और सब पराये।
राह के रोड़े हटा दो, भाव भक्ति बना दो।
मैं कुछ न जानूं। नैया मेरी पार करो||
स्वामी दे दो मुझे इतनी शक्ति,
जिससे होती रहे गुरु भक्ति।
आज्ञा सिर धरूं, तेरे रंग में रंगू
गीत गाऊं। नैया मेरी पार करो||