गुरु जीवन की ये नैया किनारे से लगा देना,
मुझे संसार सागर की तरंगों से बचा लेना ||
यहाँ मद लोभ कामादिक मगर मुँह खोल बैठे हैं,
कृपा कर इनके पंजों से गुरु मुझको बचा लेना ||
चली अज्ञान की आंधी नही कुछ सूझता मुझको,
भटकता हूँ अंधेरे में परम् ज्योति दिखा देना ||
यहां कोई नहीं ऐसा जिसे रोकर पुकारूँ मैं,
तुम्ही हो नाथ एक मेरे तुम्ही मेरी खबर लेना ||
जगत के प्यार मैं मैने सदा ठोकर ही खाई है,
यहां कोई नहीं अपना मुझे चरणों में रख लेना ||