गुरु का सहारा मिला गर ना होता,
तो गफलत में सब उम्र यूं ही में खोता।।
तबाही हुई खूब होती हमारी,
क्या सत क्या असत्य जान पाया ना होता ।।
हुई फिक्र होती ना प्रभु के मिलन की,
चला जाता दुनिया से यूं सोता सोता ।।
ना पानी में पाता ना पत्थर में पाता,
जो घट का यह ताला खुलाया ना होता ।।
प्रभु साध हरदम जो खोजे सो पावे,
यह विश्वास मन को भी आया ना होता ।।
ना साथी कोई अंत में साथ देता,
जो साथी ना गुरु को बनाया में होता ।।
हमारे से लाखों यह खानों में पिटते,
मनुज रूप सतगुरु बनाया ना होता ।।