(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज)
मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया, इसकी कीमत न जानी तो मैं क्या करूँ,
मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया, इसकी कीमत न जानी तो मैं क्या करूँ,
मैंने कानो की जोड़ी बराबर दई , सत्संग सुनने न जाना तो मैं क्या करूँ,
मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया, इसकी कीमत न जानी तो मैं क्या करूँ,
मैंने आँखों की जोड़ी बराबर दई, गुरु दर्शन करने न जाना तो मैं क्या करूँ,
मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया, इसकी कीमत न जानी तो मैं क्या करूँ,
मैंने हांथो की जोड़ी बराबर दई, सेवा करना न जाना तो मैं क्या करूँ,
मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया, इसकी कीमत न जानी तो मैं क्या करूँ,
मैंने पैरों की जोड़ी बराबर दई, मथुरा चलने न जाना तो मैं क्या करूँ,
मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया, इसकी कीमत न जानी तो मैं क्या करूँ,