(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज)
गुरु महिमा है अपार जगत में, गुरु महिमा है अपार ||
गुरु कृपा से कितने तर गए, हो गए भव से पार |
गुरु महिमा है अपार जगत में, गुरु महिमा है अपार ||
पत्थर में भी प्राण तुगाते, जड़ को भी चेतन वंत बनाते
प्रेम दया भण्डार, जगत में |
गुरु महिमा है अपार जगत में, गुरु महिमा है अपार ||
मंद बुद्धि की जड़ता हरते, मुरख को भी ज्ञानी करते |
जीवन के करतार, जगत में||
गुरु महिमा है अपार जगत में, गुरु महिमा है अपार ||
भेद भाव ह्रदय नहीं धरते , ज्ञान दीप से तिमिर को हरते|
तेज पुंज अवतार, जगत में |
गुरु महिमा है अपार जगत में, गुरु महिमा है अपार ||
सब प्रेमी मिल धूम मचाओ, सतगुरु के गुण प्रेम से गाओ|
गुरु नाम हैं सार, जगत में||
गुरु महिमा है अपार जगत में, गुरु महिमा है अपार ||