परम पूज्य संत बाबा जय गुरु देव जी महाराज

!! जय गुरुदेव नाम प्रभु का !! बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है, कलियुग जा रहा है, सतयुग आ रहा है

आरती जयगुरुदेव अनामी, कीन्ही कृपा दरश दियो स्वामी।।

चित वत पंथ रहूं दिन राति, तुमहि देख शीतल भई छाती।
हे प्रभु समरथ अन्तर यामी– आरती जयगुरुदेव अनामी।।

मैं मूरख क्रोधी खल कामी, लोभी निपट मोह पथ गामी।
तेरी सेवा भक्ति न जानी।– आरती जयगुरुदेव अनामी।।

दया धर्म चित्त नही समाये, शील क्षमा सन्तोष न आये।
अस में हीन अधीन निकामी–आरती जयगुरुदेव अनामी।।

दासों की विनती सुन लीजै, शरण आश्रय हमको दीजै।
तब पद कंज नमामि नमामि।
आरती जयगुरुदेव अनामी,
कीन्ही कृपा दरश दियो स्वामी।।