करूँ वीनती दोऊ कर जोरी,
अर्ज सुनो राधा स्वामी मोरी ।।१।।
सतपुरुष तुम सतगुरु दाता,
सब जीवन के पितु और माता ।।२।।
दया धार अपना कर लीजै,
काल जाल से न्यारा कीजै ।।३।।
सतयुग, त्रेता, द्वापुर बीता,
काहू ना जानी शब्द की रीता ।।४।।
कलयुग मे स्वामी दया बिचारी,
परगट करके शब्द पुकारी ।।५।।
जीव काज स्वामी जग मे आये,
भव सागर सेपार लगाये ।।६।।
करूँ वीनती दोऊ कर जोरी,
अर्ज सुनो राधा स्वामी मोरी ।।