परम पूज्य संत बाबा जय गुरु देव जी महाराज

!! जय गुरुदेव नाम प्रभु का !! बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है, कलियुग जा रहा है, सतयुग आ रहा है

विनय करूं मैं दोऊ कर जोरे, सतगुरू द्वार तुम्हारे।
बिन घृत दीप आरती साजूं, दोउ अंखियन मझधारे।।
भाव सहित नित बैठी झरोखे, जोहत प्रियतम प्यारे।
पग ध्वनि सुनुं श्रवण हिय अपने, मन के काज बिसारे।।
जागी सुरत पियत चरनामृत,पियत पियत हुई न्यारे।
घंटा, शंख, मृदंग, सारंगी, बंशी बीन सुना रे।।
जयगुरूदेव आरती करती, गावत जय जय कारे।
विनय करूं मैं दोउ कर जोरे, सतगुरू द्वार तुम्हारे।।