लौट कर आएंगे रे, मेरे गुरुवर कृपा निधान।
दरश दिखलायेंगे रे, मेरे गुरुवर कृपा निधान।।
कारण था कोई जाने का।
वादा किया हैं पर आने का।।
तो वापस आएंगे रे, मेरे गुरुवर कृपा निधान।
कोई माँ अपने बच्चो को।
छोड़ के जाये कैसे सोचो।।
ममता मर जायेगे रे, मेरे गुरुवर कृपा निधान।
कोई पिता संतान को अपने।
विरह की अग्नि में तपने।।
छोड़ ना पाएंगे रे, मेरे गुरुवर कृपा निधान।
गौशाला की गायें पुकारे।
खेतों में पशु पक्षी निहारे।।
वो कब आएंगे रे, मेरे गुरुवर कृपा निधान।
मथुरा के मधुबन के अंदर।
योग साधना नाम का मन्दिर।।
बरकत लुटवाएँगे रे, मेरे गुरुवर कृपा निधान।
लेकर संग में 80 कारे।
निकले फिर क़ाफ़िले सारे।।
भारत फिरवाएँगे रे, मेरे गुरुवर कृपा निधान।
जो है लालच लोभ के मारे।
श्रद्धा भक्ति के हत्यारे।।
सब मार भगाएंगे रे, मेरे गुरुवर कृपा निधान।
भंडारों की ख़ुशबू ले कर।
सत्संग पावन गँगा खेकर।।
वापस लाएंगे रे, मेरे गुरुवर कृपा निधान।
हम यतीम हो गई तुम्हरे बिन।
राह निहारे पल पल गिन गिन।।
दीदार कराएंगे रे, मेरे गुरुवर कृपा निधान।
नामदान सत्संग सूनाने।
कलजुग के जीवों को लाने।।
सतजुग लायेंगे रे, मेरे गुरुवर कृपा निधान।
दरश दिखलायेंगे रे, मेरे गुरुवर कृपा निधान
???? जयगुरूदेव ????
रचनाकार:- प्रेम देशमुख
जयगुरुदेव आवाज़ टीम