परम पूज्य संत बाबा जय गुरु देव जी महाराज

!! जय गुरुदेव नाम प्रभु का !! बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है, कलियुग जा रहा है, सतयुग आ रहा है

मेरे घर मे वो आये मेहमान रे
मेरे गुरु की निराली हैं शान रे

चेहरे पे उनके सूरज की लाली
मुस्कान अधरों पे हैं भोली भाली
बैठे सिंघासन दहलीज पे मेरे
सपने में मुझको कर के इशारे

नींद में मुझकों हुआ ये गुमान रे
मेरे गुरु की निराली हैं शान रे

ऐसा लगा कोई मंदिर किनारे
बैठा हूँ मैं किसी नदियाँ किनारे
लगता है जैसे कोई पास हो मेरे
दिखते नही पर गुरु ही हो प्यारे

उठ गया नींद से आया ध्यान रे
मेरे गुरु की निराली हैं शान रे

पर एक दिन हुआ सच मेरा सपना
देखा द्वार जब खोल के अपना
बैठे हैं मालिक द्वार पे अपने
जोर से दिल लगा मेरा धड़कने

मारे खुशी के मैं होया बेजुबान रे
मेरे गुरु की निराली है शान रे

आगे बढा मैं मालिक़ कह के
उठने लगे वो द्वार पकड़ के
हाथ उठा कर आशीष दीन्हा
जय गुरुदेव उच्चारण कीन्हा

उस घड़ी का मैं करू क्या बखान रे
मेरे गुरु की निराली हैं शान रे

मुझसा नही कोई बड़भागी
उनके चरण पड़े किस्मत जागी
पास मैं उनके जाने लगा जब
हटने लगे मेरे प्यारे गुरु तब

अगले ही छण वो हुये अन्तर्धान रे
मेरे गुरु की निराली हैं शान रे

मन मे तडफ़ हैं वो फिर आएंगे
फिर से आकर दर्शन देंगे
समरथ हैं मेरे मालिक़ पूरे
काम करेंगे सब उनके अधूरे

उनकी क्षमता का नही अनुमान रे
मेरे गुरु की निराली हैं शान रे
मेरे गुरु की निराली हैं शान रे

???? जयगुरूदेव ????
रचनाकार:- प्रेम देशमुख
जयगुरुदेव आवाज़ टीम