आज अट्ठारह की ये अंतिम रैना हैं
सारे प्रेमियों से मेरा एक ही कहना हैं
वादा उन्नीस से करे
गुरु आज्ञा में रहना है।।
आज अट्ठारह की ये अंतिम रैना हैं
चैत्र सा चित्त बने
चमकीला चरित्र बने
कुछ आँधी गरम तो चले
भीतर शीतलता छने
सतभाव का उदगम हो
यही याचना करना है
सारे प्रेमियों से मेरा एक ही कहना हैं।
जो बीत गया उससे
कुछ सिख सबके ले ले,
जो आने वाला हैं
उसका स्वागत कर ले।
इस शुभ घड़ी में हमको
हिल मिल के रहना है
सारे प्रेमियों से मेरा एक ही कहना हैं।
गुरु की बगिया के हम
सब सुंदर फूल बने।
कांटो सा सुभाव तजे
खुशबू से ऊसूल बने।।
स्नेह प्रेम प्रत्येक प्रेमी का गहना हैं
सारे प्रेमियों से मेरा एक ही कहना हैं।
अट्ठारह की संख्या
का किया इशारा हैं।
गुरु प्यारे ने हम सब
का संकट टारा हैं।।
अब गुरु आदर्शो को
चित मन मे लहना हैं
सारे प्रेमियों से मेरा एक ही कहना हैं।
हम सबको मुबारक हो
ये उन्नीस साल नया।
कुदरत कोने कोने से
खुशियाँ करती बयां।।
गुरु प्रेम को दात मिले
ये चाहते रहना है
सारे प्रेमियों से मेरा एक ही कहना हैं।
तन मन अर्पण करदे
इस घड़ी पे गुरु पर हम।
गुरु हर आज्ञा धारें
ऐसी खा लेवे कसम।।
जो रज़ा में हो राजी तो
उसका क्या कहना है
सारे प्रेमियों से मेरा एक ही कहना हैं।
हम में उन्नीसी हैं
उसे बीसी कैसे करे।
कोशिश रहेगी ये
जीवन सत्संग भरे।।
कर्तव्य के इस पथ पे
सख्ती से ठहरना हैं
सारे प्रेमियों से मेरा एक ही कहना हैं।
नव वर्ष नई ऊर्जा
नव स्रोत नया जस्बा।
गुरुभक्ति से गूंजे
नगर गाँव कस्बा।।
गुरु दया से संगत की
नित सेवा में रहना है
सारे प्रेमियों से मेरा एक ही कहना हैं।
???? जयगुरूदेव ????
रचनाकार:- प्रेम देशमुख
जयगुरुदेव आवाज़ टीम