परम पुरुष पुराण धनी।।
सतगुरु दिन दयाल।।
नतमस्तक हो अर्ज करू।।
सुनहु नाथ कृपाल।।
दिन हिन अज्ञान अधम।।
मोह बस्य मैं हुजूर।।
सदा राखिये चरण में।।
कर के माफ कसूर।।
जग दयाल नही आपसो।।
मो सो न पापी कोय।।
तो भी नाथ अपना लियो।।
कर बड़ भागी मोय।।
सब पायो गुरू आप से।।
चाह नही कछु और।।
अहर्निशं तव चरण रज।।
पाऊँ पक्की ठौर।।
???? जयगुरूदेव ????
रचनाकार:- प्रेम देशमुख
जयगुरुदेव आवाज़ टीम