प्रोफेसर हरार का जन्म इसरायल के एक धर्मनिष्ठ यहूदी परिवार में हुआ था। अपनी अचूक और शत प्रतिशत सत्य भविष्यवाणियों के लिये वे विश्व में विख्यात हैं। उन्होंने ‘नवयुग आएगा’ सम्बन्धी एक विचार गोष्ठी में अपने विचार व्यक्त किये थे। उन्होंने कहा’ रात्रि का प्रथम प्रहर-जब मैं प्रगाढ़ निद्रा में होता हूं, स्वप्न में एक दिव्य पुरुष के दर्शन करता हूं। किसी जलाशय के निकट बैठे हुए इस योगी के मस्तक में जहां दोनों भौंहें मिलती हैं मुझे अर्ध चन्द्र के दर्शन होते हैं। उसके बाल श्वेत, शुभ्र वेष-भूषा, वर्ण गौर तथा पैरों में चर्म-विहीन पाहन या पादुकायें होती हैं। उसके आस-पास अनेक सन्त सज्जन व्यक्तियों की भीड़ दिखाई देती है। उनके मध्य में जलती हुई छोटी बड़ी ज्वालायें देखता हूं। यह लोग कुछ बोलते हुये अग्नि में कुछ वस्तुयें छोड़ते हैं। उसके धुयें से आकाश छा रहा है। सारी दुनिया के लोग उधर ही दौड़े आ रहे हैं उनमें से कितने ही कष्ट-पीड़ित, अपंग और अभाव-ग्रस्त भी होते हैं। वह दिव्य देह धारी पुरुष उन सबको उपदेश कर रहा है उससे सबके मन में प्रसन्नता भर रही है लोगों के कष्ट दूर हो रहे हैं। लोग आपस के राग द्वेष भूलकर परस्पर मिल-जुल रहे हैं, स्वर्गीय सुख की वृष्टि हो रही है। धीरे-धीरे यह प्रकाश उत्तर की ओर बढ़ रहा है और किसी पर्वत के ऊपर दिव्य सूर्य की तरह चमकने लगता है। वहां से प्रकाश की किरणें वर्षा के जल की भांति उठती हैं और सारे पृथ्वी मंडल को आच्छादित कर लेती हैं। बस यहीं आकर स्वप्न का अन्त हो जाता है।
प्रोफेसर हरार का कहना है कि ऐसे किसी दिव्य पुरुष का जन्म भारतवर्ष में हुआ है। वह 1970 तक अध्यात्म क्रांति की जड़ें बिना किसी लोक यश के भीतर ही भीतर जमाता रहेगा और उसके बाद उसका प्रभुत्व सारे एशिया और विश्व में छा जाएगा। उसके विचार इतने मानवतावादी और दूरदर्शी होंगे कि सारा विश्व उसके कथन को सुनने और मानने को बाध्य होगा। जब कि विज्ञान सारे विश्व में से धर्म और संस्कृति को नष्ट करके चौपट कर देगा तब वह धार्मिक क्रांति का सूत्रपात करेगा और लोग ईसा के जन्म से पूर्व की तरह अग्नि, जल, वायु, आकाश, सूर्य और नैसर्गिक तत्वों के उपासना के महत्त्व को समझने लगेंगे। अरब और इसरायल के युद्ध की घोषणा उन्होंने काफी समय पूर्व कर दी थी। उनका कहना था कि प्रारम्भ की टक्कर बहुत जोरदार होगी। अरब का बहुत सा भाग छिन जाएगा। फिर जॉर्डन, सीरिया, मिश्र आदि मिल कर भी उसे वापस नहीं ले सकेंगे। पहली टक्कर में इसरायल की जोरदार जीत होगी फिर छिटपुट युद्ध चलता रहेगा। सन् 1979 में एक बार फिर जोरदार टक्कर होगी। इस युद्ध में धर्म के नाम पर अरब, शेष विश्व के अधिकांश इस्लामी देशों को संगठित कर लेगा। इसरायल, अमेरिका, ब्रिटेन आदि की मदद से अरबों पर बुरी तरह से टूट पड़ेगा और इस युद्ध में मुसलमानों की जन संख्या घट कर संसार के सभी जातियों से कम हो जाएगी। इस तरह इस्लाम संस्कृति का पूरी तरह अंत हो जाएगा।
सन् 1970 से 2000 तक तीव्र राजनीतिक परिवर्तन होंगे। ब्रिटेन, लंका, रूस, फ्रांस और भारतवर्ष में अप्रत्याशित रूप से सरकारें बदलेंगी भारतवर्ष में भी युद्ध होगा। मित्र जैसे दिखाई देने वाले पड़ोसी देश आक्रमण करेंगे या आक्रमण के समय मौन रहेंगे। अधिकांश प्रतिपक्ष का समर्थन करेंगे। प्रजातंत्र होते हुए भी अधिकांश राज्यों में राष्ट्रपति का शासन होगा। सन् 1972 के बाद नेतृत्व उन लोगों के हाथ में होगा जिनकी पहले लोगों ने कल्पना भी न की होगी। वे लोग वीर होने के साथ-साथ धर्म निष्ठ होंगे।
प्रोफेसर हरार के अनुसार रूस और चीन में जबरदस्त टक्कर होगी। चीन आणविक अस्त्र शस्त्रों के अतिरिक्त एक नई युद्ध प्रणाली जर्म्स वार (इस युद्ध में दुश्मन देशों में बीमारियों के कीटाणु फैला दिये जाते हैं जिससे तीव्र बीमारियां फैलती हैं और लोग बिना युद्ध के मरने लगते हैं) की शुरुआत करेगा। रूस चीन का मुँह तोड़ जवाब देगा। और उसकी अब तक की समस्त वैज्ञानिक प्रगति को नष्ट भ्रष्ट कर देगा। इस बीच तिब्बत स्वेच्छा से भारत से संबंध कर लेगा।
सन् 1980 तक सारे संसार की स्थिति विश्व युद्ध जैसी हो जायेगी। उसमें अधिकांश छोटे छोटे देश टूटकर बड़े देशों में विलीन हो जायेंगे। भारतवर्ष इन सबका अगुआ होगा। संयुक्त राष्ट्रसंघ अमेरिका से टूटकर भारतवर्ष चली आयेगी। वहाँ उसका नये सिरे से संगठन होगा । भारतवर्ष चिरकाल तक उसका अगुआ और अध्यक्ष बना रहेगा। भारतवर्ष कई विलक्षण आयुधों का निर्माण करेगा। हिमालय में किसी गुप्त खजाने और बहुमूल्य सांस्कृतिक उपादानों का गुप्त भंडार मिलेगा। हिमालय के अधिकांश भाग में आबादी हो जायेगी। वह देश दुनियां का सबसे बड़ा पर्यटन स्थल होगा। रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी जैसे देश मिलकर भी आज जो वैज्ञानिक खगोलीय सफलतायें अर्जित नहीं कर सके, वह भारतवर्ष अकेले ही कर लेगा। इस भारतवर्ष की उन्नति के लिये लोग दांतों तले उंगली दबायेंगे । सबसे आश्चर्य की बात यह होगी कि यह सब धार्मिक विचार वाले लोगों के द्वारा होगा। सारी दुनिया के लोग भारतीयों के समान शाकाहारी होंगे। दुनिया में एक ऐसी भाषा का विस्तार होगा जो आज सबसे कम बोली व पढ़ी जाती है।