एक बार चले आओ एक बार चले आओ मेरे इस व्याकुल मन को गुरु धीर बंधा जाओ एक बार चले आओ एक बार चले आओ जब से तू हुआँ ओझल दिन रात तड़फते हैं दिल के सारे अरमाँ आंखों से छलकते हैं कैसे भी कही से भी संदेश तो पहुँचाओ।। एक बार चले आओ। तू […]
जनम मरण के बाहर स्वामी विश्व जगाने आये हैं। तुम ही कहा करते थे ऐसा अब खुद क्यो भरमाये हैं।। तुम ही प्रचार किया करते थे नाम नही ये इंसाँ का, तुम ही दीवार लिखा करते थे काम नही ये इंसाँ का, नाम काम दोनों ही तुमने जब भगवान का बोला हैं फिर क्यु बुद्धि […]
तुम्हे न पहिचाने और कोई मेरे सिवा मैं ये चाहता हूँ तुम्हे न जाने कभी और कोई मेरे सिवा मैं ये चाहता हूँ बस मैं ही मैं हुँ और तुम ही तुम हो ना ग़ैर हो कोई चाहता हु मेरी तुम्हारी जो प्रीत हैं ये कोई न बांटे मैं ये चाहता हूँ तुम्हारे ऊपर हो […]
तेरे दीदार की हैं लगी आस गुरुजी मेरा मन आज बड़ा ही उदास गुरुजी दुनियां अब मेरा मन ही न लगता अपना कहि कोई मुझको न दिखता बड़े ही बिकट हैं हालात गुरूजी मेरा मन आज बड़ा ही उदास गुरुजी हर पल तुम्हारी ही यादे सताती कोई खुशी मेरे मन को न भाती काटे ना […]
।।हे गुरुवर ! मम प्राणेश्वर।। ।।मेरे ऐब पाप सब दूर करो।। ।।पर मैं तो अंश तुम्हारा हुँ।। ।।यूँ दूर न मुझे हुजूर करो।। ।।विकृत संसारी भावो के।। ।।दल दल ने मुझें घेर रखा।। ।।सो सुभाव हो गया विकारी।। ।।प्रभु मेरा माफ़ क़सूर करो।। ।।नवरात्रि में नवजीवन की।। ।।नवऊर्जा का हमे स्त्रोत मिले।। ।।हृदयँ सरोवर में […]
मेरे मन बीच सतगुरु बसते हैं अखियों से रहते दूर। जरा नैन मूंद कर देखूं तो दिखता उनका सतनुर।। मेरे मन बिच सतगुरु बसते हैं अखियों से रहते दूर जब से निर्माण हुआँ जग का तब से मैं ध्यान भुला उनका। अब याद दिलाई हैं उन ने है आया ख्याल मुझे रब का।। मैं सदा […]
मेरे घर मे वो आये मेहमान रे मेरे गुरु की निराली हैं शान रे चेहरे पे उनके सूरज की लाली मुस्कान अधरों पे हैं भोली भाली बैठे सिंघासन दहलीज पे मेरे सपने में मुझको कर के इशारे नींद में मुझकों हुआ ये गुमान रे मेरे गुरु की निराली हैं शान रे ऐसा लगा कोई मंदिर […]
ऐसी कोई मौत नही जग में मजबूर तुझे जो कर जाये। मरते को जिलाने वाले तुम ऐसे कैसे फिर मर जाये।। नादां है समझते जो ऐसा अज्ञान में डूबे हैं सारे। मन डावा डोल रहे उनका तुम्हे छोड़ के दूजे दर जाए।। जो आम समझते अनामी को इंसान समझते हैं तुमको। उन्हें जनम मरण सहना […]
पापियों का पाप बढ़ गया हो गयी धरती भारी रे। अब तो डम डम बजा दे डमरू हे भोला भंडारी रे।। धरम करम का सुख गया झरना पाप समन्दर गहराया। प्रेम प्यार की जरजर हालत दिन ईमान भी मुरझाया।। मात पिता की कौन कहे गुरू संग भी करे गद्दारी रे।। अब तो डम डम बजा […]
मथुरा में पुतला जलवा कर पल में कर दिया ख़ाक । समझ न पाया कोई लेकिन लाखों रहे थे झांक । दुनियां देखे आंखे फाड़ तूम बैठे परदे की आड़ सारी दुनियां में हुआ रे प्रचार के लीला तेरी तू ही जाने । कैसा खेल रे तू खेला आरपार के लीला तेरी तू ही जाने […]
मम अन्तःपटल पे तेरी ही हो छबि मेरे हे प्राणाधार, तुम आशीष की रश्मियों से हुआ करे मेरा श्रृंगार। अटल सदा विश्वास रहे तव चरणों में हो प्रेम अपार, निज अंशो की चूक छमा करो सुनहु प्रभु मम करुण पुकार। हे सर्वाश्रय हे करुणामय हे सतगुरु हे परम् उदार, हे भव भंजन हे जन तारक […]