जयगुरुदेव आरती लाई। सतगुरु के सत्संग गंग में प्रथमई जाय नहाई। चीर पुरान त्यागि कर्मन की श्वेत चुनर पहिराई। मैली चुनर त्याग कर्मन की लखि निज मनहिं लजाई। जयगुरुदेव चुनर जिन धोयो उनको देत बधाई। ज्योति निरंजन सहस कमल दल, शोभा पड़ी दिखाई। आगे दर्शन करति ब्रह्मपद, गुरु पद पदुम जगाई। पार ब्रह्म और महासुन्न […]
जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। मेरे मात पिता गुरुदेव, जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। सब देवन के देव गुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। तिनके चरण कमल मन सेव, जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। जीव काज जग आये गुरुदेव, जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। अपना भेद बताये गुरुदेव, जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। सत्य स्वरूपी रूप गुरुदेव, जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। अलख अरूपी रूप गुरुदेव, जयगुरुदेव […]
हे सतगुरु स्वामी, मेरे तुम सतगुरु स्वामी। शरण तुम्हारी हूँ मैं, मूरख खल कामी।। तुम हो बड़े दयालु, तुम हो उपकारी। तुम हो अन्तर्यामी, शक्ति अवतारी।। अंधकार में अब तक, मैं था अज्ञानी। तुमने मुझे उबारा, महिमा अति जानी।। शब्द ज्ञान बतलाया, जिससे सुरत जगे। घट में देख उजाला, आगे चलन लगे।। रक्षा कर भक्तों […]
हमारे प्यारे पाहुना जयगुरुदेव आये। द्वार द्वार पर चौक पुराये, मंगल कलश धराये।। लखी लखी शोभा भवन नगर, इन्द्रादिक देव लजाये। भरी भरी थार पुष्प माला से, आरति दीप सजाये।। चन्दन पलंग जड़ित मन मानिक, रेशम डोर लगाये। श्रेत कमल का सुखद बिछावन जयगुरुदेव बिठाये।। होने लगी आरती गुरू संग मन बुध्दि चित थिर पाये। […]
आरती करहुँ सन्त सतगुरु की, सतगुरु सतनाम दिनकर की। काम क्रोध मद लोभ नशावन, मोह ग्रसित कह सुर सरी पावन। कटहिं पाप कलि मल की, आरती करहुँ सन्त सतगुरु की।। तुम पारस संगति पारस तव, कलिमल ग्रसित लौह प्राणी भव । कंचन करहिं सुधर की, आरती करहुं सन्त सतगुरु की।। भूलेहुं जे उन संगति आवे, […]
आरती करूँ गुरुदेव की जिन भेद बतायो, चरण कमल की छाय मे जिन सुरत बिठायो ।।१।। जनम जन्म के पाप को जिन दूर हटायो, मो सम पतित पुनीत कर निज ह्रदय लगायो ।।२।। दीन दयालु दया करी दियो शब्द जहाजा, सुरत चढ़ी आकाश मे धरी अनहद नादा ।।३।। सुरत चली निजलोक को मन परम् हुलासा, […]
आरती जयगुरुदेव अनामी, कीन्ही कृपा दरश दियो स्वामी।। चित वत पंथ रहूं दिन राति, तुमहि देख शीतल भई छाती। हे प्रभु समरथ अन्तर यामी– आरती जयगुरुदेव अनामी।। मैं मूरख क्रोधी खल कामी, लोभी निपट मोह पथ गामी। तेरी सेवा भक्ति न जानी।– आरती जयगुरुदेव अनामी।। दया धर्म चित्त नही समाये, शील क्षमा सन्तोष न आये। […]
(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) अब सोंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे चरणों में, हैं जीत तुम्हारे हांथों में, और हार तुम्हारे हांथों में, मेरा निश्चय बस एक यही, एक बार तुम्हे पा जाऊं मैं, अर्पण कर दूँ दुनिया भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथों में, यदि जग में रहूँ तो ऐसे […]
(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) बेला अमृत गया, आलसी सो रहा, बन अभागा | साथी सारे जगे, तू न जागा || झोलियाँ भर रहे भाग वाले, लाख पतितों ने जीवन संभाले, रंक राजा बने, प्रभु रस में सने, कष्ट भागा | बेला अमृत गया, आलसी सो रहा, बन अभागा | साथी सारे जगे, तू […]
(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) मेरे दाता के दरबार में है, सब लोगो का खाता। जो कोई जैसी करनी करता, वैसा ही फल पाता। क्या साधू क्या रंक गृहस्थी, क्या राजा क्या रानी। प्रभू की पुस्तक में लिक्खी है, सबकी कर्म कहानी।। अन्तर्यामी अन्दर बैठा, सबका हिसाब लगाता।। मेरे दाता के दरबार में है, […]
(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) हमेँ फूल बना लो तुम, मालिक अपने गुलशन का ! भटका हुआ प्राणी हूँ, न जाने कितने जन्म का !! जगत लगता है विराना, काल काटने को दौङे ! मुझसे बोझ नहीँ ढूलता, मेरे पीछले करम का !! भक्ति प्रेम विरह का बरसात कर दो मालिक ! मिटा दो […]
(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) तू है रहम का सागर,तेरी हर बात है निराली! हम पर कृपा तू रखना,कहीँ रह ना जाऊँ खाली!! अपने शरण मेँ लाकर तूने कृपा जो की है! बङे भाग्य थे हमारे जो यह दौलत हमको दी है!! कभी भूल न पाऊ तुमको यह अर्ज है हमारी..! हम पर कृपा […]