(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) किस्मत बङी है अपनी जो आप मिल गये हैँ ! आपके शरण मेँ मेरे भाग्य खिल गये हैँ !! दर-दर को भटक रहे थे मिलता कहाँ सहारा, मझदार मे थे अटके बङी दूर था किनारा, सुनसान था इलाका जब कुछ नजर ना आई, जो तेरे दर पे आये तो […]
(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) मेरे प्यारे गुरु दातार मंगता द्वारे खङा । मैँ रहा पुकार-पुकार मेहर कर देखो जरा । मोहि दीजे भक्ति दान,काल दुःख बहुत दिया । मेरे तङप उठी हिय मांहि,दरस को तरस रहा । बरसाओ घटा अपार,प्रेम रंग दीजे वहा । सुरत भीजै अमी रस धार,तन मन होवे हरा । […]
(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) गुरु महिमा है अपार जगत में, गुरु महिमा है अपार || गुरु कृपा से कितने तर गए, हो गए भव से पार | गुरु महिमा है अपार जगत में, गुरु महिमा है अपार || पत्थर में भी प्राण तुगाते, जड़ को भी चेतन वंत बनाते प्रेम दया भण्डार, जगत […]
(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया, इसकी कीमत न जानी तो मैं क्या करूँ, मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया, इसकी कीमत न जानी तो मैं क्या करूँ, मैंने कानो की जोड़ी बराबर दई , सत्संग सुनने न जाना तो मैं क्या करूँ, मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया, […]
(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) मन तू भजो गुरु का नाम दया मेहर से नर तन पायो, मत करना अभिमान, मन तू भजो गुरु का नाम, एक दिन खली पड़ा रहेगा,जाई बसे शमशान, मन तू भजो गुरु का नाम, जो धन तुझको दिया गुरु ने, उससे कर कुछ काम, मन तू भजो गुरु का […]
फागुन के दिन चार, होली खेल मना रे| बिन करताल पखावज बाजे, अनहद की झनकार होली खेल मना रे||१|| बिन सुर राग छत्तीसों गावे, रोम-रोम रंग सार | होली खेल मना रे||२|| शील संतोष की केसर घोली, प्रेम प्रीत पिचकार | होली खेल मना रे||३|| उड़त गुलाल लाल भये बादल, बरसत रंग अपार | होली […]
(वक्त के सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) गुरु रूप न समझे कोय, भरम में पड़े अज्ञानी । गुरु को मानुष जानकर, भक्ति का करें ब्यौहार। सो प्रानी अति मूढ़ हैं, कैसे जायें भव पार। गुरु रूप न समझे कोय, देह के बने अभिमानी । गुरु रूप न समझे कोय, भरम में पड़े अज्ञानी । […]
???? जयगुरूदेव नाम प्रभु का ???? छोड़ कर संसार जब तू जाएगा । कोई ना साथी तेरा साथ निभाएगा । गर प्रभु का भजन किया ना, सत्संग किया ना दो घड़िया। यमदूत लगाकर तुझको, ले जाएंगे हथकड़ियां। करो ना छुड़वाएगा, कोई न साथी तेरा साथ निभाएगा। छोड़ कर संसार जब तू जाएगा कोई ना साथी […]
ऐ “सुख” तू कहाँ मिलता है क्या तेरा कोई पक्का पता है‼ क्यों बन बैठा है अन्जाना आखिर क्या है तेरा ठिकाना।‼ कहाँ कहाँ ढूंढा तुझको पर तू न कहीं मिला मुझको‼ ढूंढा ऊँचे मकानों में‼ बड़ी बड़ी दुकानों में‼ स्वादिष्ट पकवानों में‼ चोटी के धनवानों में‼ वो भी तुझको ही ढूंढ रहे थे‼ बल्कि […]
आस लगी है दर्शन की कर दो पूरी मन की, लगन लगी है दर्शन की कर दो पूरी मन की ।।१।। सतगुरु मेरे प्राणन प्यारे, अखियन के प्रभु तुम हो तारे। भूख नही मोहे धन की – कर दो पूरी मन की।। लगन लगी है दर्शन की कर दो पूरी मन की ।।२।। नही चाहिये […]
अगर तेरा मिलता सहारा नहीँ है , तो दुनियां में कोई हमारा नहीँ है।। अगर मुझको अबकी न अपना सकोगे, तो फिर बन्दा तेरा तुम्हारा नहीँ है।। कठिन काल निज पास में बांध लेगा, तो कहना नहीँ कि गोहारा नहीँ है।। बड़े भाग से अब की नर तन मिला है, उसे मोह के बस सुधारा […]
अनामी तुमको जयगुरुदेव कह कर के बुलाऊँ मै नही आधार कोई ध्यान फिर कैसे लगाऊ मैं।।१।। जगह भी है नही मालूम जहाँ पर आप मिलते हैं, तेरे सतधाम का कैसे पता भगवान पाऊँ मैं।।२।। बहुत दौड़ा बहुत ढूंडा जवानी धन किया ख्वारी, मिले गुरुदेव बोले राह वह तुमको बताऊ मैं।।३।। अगम की धार पाया प्रेम […]