परम पूज्य संत बाबा जय गुरु देव जी महाराज

!! जय गुरुदेव नाम प्रभु का !! बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है, कलियुग जा रहा है, सतयुग आ रहा है

9th December 2020

सत्संग वचन वासना, इच्छा है जो फैल जाती है उसको समेटना बड़ा मुश्किल होता है। इच्छा सीमित रखो तो दिक्कत नहीं होगी। एक मनीहारी चूड़ी वाली और एक सब्जी वाला दोनों बाजार गऐ। मनीहारी ने चूड़ियां खरीदी और सब्जी वाले ने सब्जी खरीदी। दोनों एक ऊँट वाले के पास गऐ। ऊँट वाले ने कहा कि […]


9th December 2020

सत्संग वचन बाबा जयगुरूदेव जी महाराज ने कहा है कि गरीब अमीर हो जाऐ, रोगी निरोगी हो जाऐ यह समय समय की बात है। समय आता है, बदलता है। समय को कभी नहीं भूलना चाहिऐ। इधर खबरें आती हैं कि वर्षा न होने से फसल खराब हो गईं। तकलीफ तो आती है जाती है पर […]


9th December 2020

सत्संग वचन सूरत (जीवात्मा) दोनों आँखों के पीछे बैठी है। वहीं पर नाम है। घण्टा घड़ियाल बज रहा है। यही नाम, आवाज, सुरत की सच्ची खुराक है। प्रेम का होना जरूरी है तभी करनी बनेगी। प्रेम बिना करनी कभी नहीं बनेगी और प्रेम के बिना जो भी करनी है वो सब फीकी है। जो भी […]


9th December 2020

सत्संग वचन कर्मों का विधान बड़ा जटिल है इसे बुद्धि के द्वारा नहीं समझा जा सकता। लड़का हो, भाई हो या पत्नी हो सबको अपने अपने कर्म भुगतने पड़ते हैं। प्रत्येक आत्मा को अपने किऐ का हिसाब देना पड़ता है। कोई भी दूसरे के कर्मों का भार अपने ऊपर नहीं ले सकता। यदि आपके लड़के […]


9th December 2020

सत्संग वचन इस शरीर में सबसे बड़ा चोर, सबसे बड़ा दुश्मन मन है। इसको जीतने की, वश में करने की युक्ति किसी के पास नहीं है। बाहरी क्रियाओं से पूजा-पाठ करने से, तीरथ-व्रत करने से यह वश में नहीं होता है। यह चोर और दुश्मन किसका है? सुरत का यह बाहरी क्रियाओं से जीता नहीं […]


9th December 2020

सत्संग वचन जब मन दुनियां से उचाट हो जाऐ, चीजों में अभाव आ जाऐ तो समझना चाहिऐ कि गुरू की दया हो रही है और होने वाली है तो तुरन्त भजन पर बैठ जाना चाहिऐ। दया के उस ज्वार भाटे में मन आ गया तो खिंचाव हो जाऐगा। जिन लोगों ने प्रभु को प्राप्त किया […]


9th December 2020

सत्संग वचन इस शरीर में सबसे बड़ा चोर, सबसे बड़ा दुश्मन मन है। इसको जीतने की युक्ति किसी के पास नहीं। बाहरी किसी भी क्रिया जप, तप, पूजा, पाठ से तीरथ-व्रत करने से नदियों में डुबकी लगाने से यह वश में नहीं होता। यह चोर और दुश्मन किसका है ? सुरत का। बाहरी क्रियाओं से […]


9th December 2020

सत्संग वचन अनामी पुरूष सबके कर्ता-धर्ता हैं। इन्होंने अपनी इच्छा से, अपनी मौज से अगम लोक की रचना की और अगम पुरूष को स्थापित किया। फिर अलख लोक की रचना की और अलख पुरूष को स्थापित किया। ये ही वो मालिक हैं जिन्होंने सतलोक की रचना की और सतपुरूष को स्थापित किया। अनामी पुरूष ने […]


9th December 2020

सत्संग वचन वह वस्तु जो बिना किसी चेस्टा के स्वयं आती है वह हमारे भाग्यानुसार है। जो साधक हैं जिनका ध्यान एकाग्र हो चुका है और अन्तर के मण्डलों में आते-जाते हैं वे अपना भाग्य आसानी से जान सकते हैं। मन जब तक जीवात्मा का साथ नहीं देगा तब तक हम ध्यान-भजन नहीं कर सकते। […]


9th December 2020

सत्संग वचन देखो प्रेमियों तुम यहाँ बैठ गऐ तो बुद्धि और विवेक से काम लो। शरीर यहाँ बैठा है और मन कहीं और भाग रहा है इससे कुछ होने वाला नहीं है। तुम मन को, चित्त को रोककर अपनी बैठक बना लो। चार अफीमची एक जगह बैठ जाते हैं तो उन्हें दूसरी बात याद नहीं […]


9th December 2020

सत्संग वचन आज कलयुग का समय है। कलयुग कहते हैं ‘कर-युग’। महापुरूषों ने भव सागर से पार होने के लिए कलयुग को बहुत आसान कर दिया। त्रेता की क्रिया आप नहीं कर सकते हो, द्वापर की क्रिया भी आप नहीं कर सकते हो क्योंकि आपके कर्म खराब हो गऐ, खान-पान बिगड़ गया, आचार-विचार बदल गऐ। […]


9th December 2020

सत्संग वचन सत्संगियों को अपना जीवन ऐसा बनाना चाहिऐ जैसे कछुआ। जब जरूरत पड़ी संसार के काम के लिए फैले फिर भीतर चले आए। उस प्रभु की याद में लग जाओ और घर परिवार में प्रेम से रहो। यदि तुमने अपना जीवन ऐसा बना लिया तो क्या साधन क्या भजन। तुम्हारा काम बना हुआ है। […]