कर्मों का लेना देना गुरु महाराज क्या कहतें हैं, ध्यान से सुनो नर-नारियों। गुरु महाराज कहतें हैं कि बेटा बन कर, बेटी बनकर, दामाद बनकर और बहु बनकर कौन आता है ? जिसका तुम्हारे साथ कर्मों का लेना देना होता है। लेना देना नही होगा तो नही आयेगा। एक फौजी था। उसके मां नहीं, बाप […]
सुगम पंथ मोहिं पावें प्राणी आपको रास्ता जब मिल गया है तो भजन करो। जो प्रारब्ध उसने तुम्हारा बना दिया गया है वह तुमको रोज मिलेगा। इसलिए दुनियां में ज्यादा फंसो मत। काम आप सब करो। खेती का, दुकानदारी का और दफ्तर का। आपको कोई मना नहीं करता पर ईमानदारी से ओर मेहनत से काम […]
सत्संगियों को उपदेश इस देह मन्दिर में चैबीस घण्टे लगातार शब्द धुन हो रही है उसे रोज रोज सुनो। वह ईश्वरीय संगीत है जो हर घट में हो रही है जिस कदर फुरसत मिले उसे सुनते रहे। जितना सुनोगे उतना ही निर्मल हो जाओ। अन्तरमुख शब्द में सुरत को जोड़ना चाहिए। सतगुरू का स्वरूप हर […]
गुरू जनु आवन को हैं, भये नभ मण्डल लाल जयगुरुदेव सत्संग के प्रारम्भिक दिनों में प्रेमी एक प्रार्थना गाते थे कि- गुरू जनु आवन को हैं, भये नभ मण्डल लाल। गुरू चेतन है। उसकी बैठक मनुष्य शरीर में दोनों आंखों के पीछे है। भजन ध्यान करके साधक अपनी चेतनता को सिमटा कर दोनों आंखों तक […]
ठग और ब्राह्मण एक बार एक ब्राम्हण किसी पेड़ के नीचे बैठ कर रुपयों को गिन-गिन कर अपनी पगड़ी में रखता जा रहा था. जब वह सब रूपए अपनी पगड़ी में रख चुका, उस समय एक ठग आया और ब्राम्हण के पैरों में गिर पड़ा. ठग बोला कि, ”महाराज आज आप हमारे घर पर भोजन […]
सुगम पंथ मोहिं पावें प्राणी आपको रास्ता जब मिल गया है तो भजन करो। जो प्रारब्ध उसने तुम्हारा बना दिया गया है वह तुमको रोज मिलेगा। इसलिए दुनियां में ज्यादा फंसो मत। काम आप सब करो। खेती का, दुकानदारी का और दफ्तर का। आपको कोई मना नहीं करता पर ईमानदारी से ओर मेहनत से काम […]